
- पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के कारण कृषि योग्य भूमि बड़े पैमाने पर जलमग्न हो गई है.
- पूर्वोत्तर पंजाब में बाढ़ से सैकड़ों गांव, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह प्रभावित हुए हैं.
- संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने जलवायु परिवर्तन से बाढ़ की तीव्रता बढ़ने और गंभीर खाद्य संकट की चेतावनी दी है
पाकिस्तान में इस वक्त कुदरत ने तबाही मचा रखी है. पूरा पाकिस्तान मानों पानी में डूबा हुआ है. पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक मूसलाधार बारिश और बढ़ती बाढ़ ने पूरे पाकिस्तान में खेती लायक भूमि के विशाल क्षेत्रों को पानी में डूबा दिया है. कटाई के लिए तैयार फसलें नष्ट हो चुकी हैं. इससे पाकिस्तान के अंदर खाद्य संकट और बढ़ती महंगाई की चिंता बढ़ गई है. यहां तक कि एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राष्ट्र और स्थानीय किसानों ने फसलों को हुए नुकसान के पैमाने पर सोमवार को चेतावनी जारी की.
पाकिस्तान में बस पानी-पानी
पाकिस्तान के सबसे बड़ा प्रांत और उसके लिए अनाज का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वोत्तर पंजाब (पाकिस्तान वाला) में विनाशकारी बाढ़ आई हैं. इसमें सैकड़ों गांव, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र पानी में डूब गए. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, गायें-बकरियां बह गई हैं, फसलें नष्ट हो गई हैं और लगभग 50 लोगों की जान चली गई है. इसके बाद से इस क्षेत्र से बड़े पैमाने पर लोगों को बाहर निकाला जा रहा है.

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 20 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, अब तक 700,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है. बाढ़ का पानी अब दक्षिण की ओर सिंधु नदी की ओर बढ़ रहा है, जिससे आने वाले दिनों में सिंध में और विनाश होने का खतरा है.
This isn't normal—yet it's becoming the new normal. Monsoons, driven by climate change, now bring fear and devastation to communities across Pakistan. #ClimateCrisis pic.twitter.com/2sqf8R88DK
— Mo Yahya (@Momalindi) August 31, 2025
हफीजाबाद जिले से एक वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा, "जहां तक नजर जाती है वहां तक धान के खेत बाढ़ में डूबे हुए हैं. किसानों को अब अगले रोपण सीजन तक फसल या आय के बिना कई महीनों का सामना करना पड़ेगा."
उन्होंने चेतावनी दी, "यह केवल शुरुआत है - आने वाले हफ्तों में और अधिक तीव्र बारिश की उम्मीद है. जैसे-जैसे पानी दक्षिण की ओर बहेगा, इससे अधिक परिवारों को विस्थापन और विनाश का खतरा होगा. यह सिर्फ एक और प्राकृतिक आपदा नहीं है; यह जलवायु परिवर्तन है."
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