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Explainer: पाकिस्तान में 76 साल में 29 PM, पर एक के भी पूरे नहीं हुए 5 साल, जानें- किसकी कितने दिन में गई कुर्सी

पाकिस्तान की शासन व्यवस्था पर शुरुआत से ही सेना का हस्तक्षेप रहा है. अब तक तीन बार पाकिस्तान में सैन्य शासन देखने को मिला है.

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Explainer: पाकिस्तान में 76 साल में 29 PM, पर एक के भी पूरे नहीं हुए 5 साल, जानें- किसकी कितने दिन में गई कुर्सी
नई दिल्ली:

Pakistan Elections: पाकिस्तान में गुरुवार को आम चुनाव के लिए मतदान हुए. कुछ जगहों पर मतदान के दौरान हिंसा की भी खबर सामने आयी है. निर्माण के समय से अब तक 76 साल के इतिहास में पाकिस्तान में  29 प्रधानमंत्री हुए हैं. हालांकि अब तक एक भी प्रधानमंत्री ने अपने 5 साल के कार्यकाल को पूरा नहीं किया है. 29 में से 18 प्रधानमंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोप, सैन्य तख्तापलट और राजनीतिक दलों की आपसी फूट के कारण पद छोड़ना पड़ा. 11 अन्य प्रधानमंत्री काफी कम समय के लिए इस पद पर नियुक्त हुए. ये कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने.

पाकिस्तान में कुछ साल ऐसे भी गुजरे जब एक ही साल में कई प्रधानमंत्रियों ने सत्ता संभाली और बाद में उन्हें उसी साल पद भी छोड़ना पड़ा. 

पाकिस्तान में तीन बार लग चुके हैं सैन्य शासन

पाकिस्तान की शासन व्यवस्था पर शुरुआत से ही सेना का हस्तक्षेप रहा है. अब तक तीन दफे पाकिस्तान में सैन्य शासन देखने को मिला है. पहली बार साल 1956 से 1971, 1977 से 1988 तक और फिर 1999 से 2008 तक सैन्य शासन के अधीन रहा है. सैन्य शासन के दौरान भी कुछ प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए लेकिन वो भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. आइए जानते हैं उन 18 प्रधानमंत्रियों के बार में जिन्होंने पूरे कार्यकाल के लिए शपथ ली लेकिन बीच में ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा. 

लियाकत अली खान: आजादी के बाद लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे.  16 अक्टूबर 1951 को एक राजनीतिक रैली में उनकी हत्या कर दी गई. लियाकत अली अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. वो महज 4 साल और 2 महीने तक  ही प्रधानमंत्री रह पाए.

ख्वाजा नाज़िमुद्दीन: लियाकत अली की मौत के बाद 17 अक्टूबर, 1951 को ख्वाजा नाज़िमुद्दीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. लेकिन लगभग डेढ़ साल बाद ही उन्हें भी पद छोड़ना पड़ा. देश में फैले अव्यवस्था के कारण उन्हें पद से हटा दिया गया. 

मुहम्मद अली बोगरा: ख्वाजा नाज़िमुद्दीन के बाद 17 अप्रैल, 1953 को मुहम्मद अली बोगरा ने पदभार ग्रहण किया. 11 अगस्त, 1955 को उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा. उनका कार्यकाल भी महज दो साल और तीन महीने का ही रहा. 

चौधरी मोहम्मद अली: मुहम्मद अली बोगरा के चौधरी मोहम्मद अली ने 1955 में पदभार ग्रहण किया. सत्तारूढ़ दल में आंतरिक मतभेदों के कारण 12 सितंबर, 1956 को ही उन्हें हटा दिया गया.  उनका कार्यकाल: एक वर्ष और एक महीने का ही रहा. 

हुसैन शहीद सुहरावर्दी: 12 सितंबर, 1956 को इन्होंने पदभार ग्रहण किया. 18 अक्टूबर, 1957 को अन्य सहयोगी दलों के साथ मतभेद के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया. इनका कार्यकाल एक वर्ष और एक महीने का रहा. 

इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर: अक्टूबर 1957 में इन्होंने पदभार ग्रहण किया. 16 दिसंबर 1957 को इन्हें इस्तीफा देना पड़ा. संसद में इन्हें अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाया गया. इनका कार्यकाल दो महीने से भी कम रहा. 

मलिक फ़िरोज़ खान नून: 16 दिसंबर, 1957 को इन्होंने पदभार ग्रहण किया. 7 अक्टूबर, 1958 को पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू होने के कारण इन्हें बर्खास्त कर दिया गया. ये लगभग 10 महीने तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे.

नूरुल अमीन: 7 दिसंबर, 1971 को नूरुल अमीन ने पदभार ग्रहण किया. पाकिस्तान से बांग्लादेश के अलग होने के तुरंत बाद, 20 दिसंबर, 1971 को इन्होंने पद छोड़ दिया. इनका कार्यकाल
 दो सप्ताह से भी कम रहा.

ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो: 14 अगस्त, 1973 को ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. 5 जुलाई, 1977 को एक सैन्य तख्तापलट द्वारा उन्हें सत्ता से हटा दिया गया. पीएम पद से हटाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया. बाद में उन्हें फांसी भी दे दी गयी. ये लगभग तीन साल और 11 महीने तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहें.

मुहम्मद खान जुनेजो: मार्च 1985 में इन्होंने पदभार संभाला. उन्हें 29 मई, 1988 को सैन्य प्रमुख, जो राष्ट्रपति भी थे, द्वारा बर्खास्त कर दिया गया. इनका कार्यकाल तीन साल और दो महीने का रहा.

बेनजीर भुट्टो: पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो बनी. श्रीमती भुट्टो पूर्व प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी थी. 2 दिसंबर, 1988 को उन्होंने पदभार ग्रहण किया था. उनकी सरकार को 6 अगस्त, 1990 को राष्ट्रपति द्वारा, भ्रष्टाचार के आरोप में पद से हटा दिया गया. इनका कार्यकाल एक वर्ष और आठ महीने का रहा.

मियां मुहम्मद नवाज़ शरीफ़: 6 नवंबर, 1990 को नवाज शरीफ ने पदभार ग्रहण किया. उनकी सरकार को भी राष्ट्रपति ने 18 अप्रैल, 1993 को भुट्टो की तरह ही आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया. वह कुछ सप्ताह बाद अदालतों द्वारा फैसले को पलटवाने में सक्षम हुए और बाद में उनकी फिर वापसी हुई. , लेकिन सेना के साथ मतभेद के बाद फिर से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. उनका यह कार्यकाल दो वर्ष और सात महीने का रहा. 

बेनजीर भुट्टो: 19 अक्टूबर, 1993 को एक बार फिर बेनजीर भुट्टो की वापसी हुई. यह उनका दूसरा कार्यकाल था. 5 नवंबर, 1996 को कुशासन के आरोप में राष्ट्रपति ने उन्हें एक बार फिर बर्खास्त कर दिया. उनका यह कार्यकाल एक बार फिर लगभग तीन साल का रहा.  

नवाज शरीफ: 17 फरवरी, 1997 को दूसरी बार सत्ता में इनकी वापसी हुई. 12 अक्टूबर, 1999 को पाकिस्तान में एक बार फिर सैन्य तख्तापलट देखने को मिला. इनका यह कार्यकाल दो साल और आठ महीने का रहा. 

मीर जफरुल्लाह खान जमाली: नवंबर 2002 में सैन्य शासन के दौरान प्रधान मंत्री चुने गए. उन्होंने 26 जून 2004 को सेना के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया. इनका कार्यकाल एक वर्ष और सात महीने का रहा. 

यूसुफ रजा गिलानी: 25 मार्च 2008 को प्रधान मंत्री चुने गए. उन्हें 2012 में "अदालत की अवमानना" के आरोप में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोग्य घोषित कर दिया गया. गिलानी का कार्यकाल: चार साल और एक महीने का रहा. 

नवाज शरीफ: 5 जून, 2013 को तीसरी बार प्रधान मंत्री चुने गए. उन्हें 28 जुलाई, 2017 को संपत्ति छिपाने के आरोप में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त कर दिया. इनका यह कार्यकाल: चार साल और दो महीने का रहा.

इमरान खान: 18 अगस्त, 2018 को प्रधान मंत्री के रूप में चुने गए. 10 अप्रैल, 2022 को विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा. इमरान खान तीन साल और सात महीने तक पाकिस्तान के पीएम रहें. 

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