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This Article is From Feb 03, 2013

पाक संसद ने जासूसी पर विवादास्पद विधेयक पारित किया

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की संसद के दोनों सदनों ने उस विवादास्पद विधेयक को पारित कर दिया है, जिससे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों को निगरानी करने और इलेक्ट्रॉनिक डाटा जुटाने की व्यापक शक्तियां मिल जाएंगी।

संसद के इस कदम से इसे कानून बनाने के लिए राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 'द फेयर ट्राइल बिल 2012' की मानवाधिकार समूह यह कहकर निंदा कर रहे हैं कि इससे निजता एवं नागरिक स्वतंत्रता को खतरा है।

संसद के उच्च सदन सीनेट ने इसे शुक्रवार को पारित किया। निचले सदन नेशनल असेंबली ने इसे 20 दिसंबर को ही पारित कर दिया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूर किए जाते ही खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की रणनीति के रूप में फोन टैप करने, ई-मेल पर नजर रखने और एसएमएस से ब्योरा जुटाने की शक्ति मिल जाएगी।

पांच सुरक्षा संबंधी कानूनों के तहत दर्ज मामलों में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जुटाया गया ब्यौरा अदालतों में स्वीकार्य होगा। कानून मंत्री फारूक नाईक ने सीनेट को बताया कि नया कानून लागू होने पर सबूत जुटाने के लिए सभी कानून प्रवर्तन एवं खुफिया सेवाएं समान कानूनी प्रणाली से संचालित होंगी। ऐसे सबूत अदालतों में स्वीकार्य होंगे चाहे, ये प्राथमिकी दर्ज होने से पहले ही क्यों न जुटाए गए हों।

निचले सदन ने इस विधेयक को तभी मंजूरी दी थी, जब मुख्य विपक्षी दल पीएमएल (एन) और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) द्वारा प्रस्तावित किए गए दो दर्जन से अधिक संशोधनों को इसमें शामिल कर लिया गया था।

नेशनल असेंबली में चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने आश्वासन दिया था कि कानून आम नागरिकों पर केंद्रित नहीं है। उन्होंने कहा, यह विधेयक आतंकवादियों को यह संदेश भेजने में सफल होगा कि उनके खिलाफ समूचा देश एक है और उनकी चुनौतियों को स्वीकार करता है।

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