
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अफसरों को 'आर्मी ऐंड नेशन’ पढ़ने की सलाह दी..
- पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल ने भारतीय लोकतंत्र की तारीफ की
- अधिकारियों से कहा - सरकार चलाना हमारा काम नहीं
- पाकिस्तान ने कई बार सेना तख्तापलट कर चुकी है
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इस्लामाबाद:
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को सियासत से दूर रहने की सलाह दी है. भारतीय लोकतंत्र की तारीफ करते हुए उन्होंने अधिकारियों को उससे सीख लेने की सलाह दी. बाजवा ने अधिकारियों से कहा कि सरकार चलाना सेना का काम नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि वे (अधिकारी) एक किताब पढ़ें जिनमें बताया गया है कि कैसे भारत सेना को सियासत से अलग रखने में कामयाब रहा. गौरतलब है कि पाकिस्तान सेना का सरकार में दखल का इतिहास काफी पुराना रहा है. पाकिस्तान ने कई बार सेना तख्तापलट कर चुकी है.
पाकिस्तानी अंग्रेजी दैनिक 'द नेशन' के अनुसार बाजवा ने कहा, "सरकार चलाने की कोशिश करना फौज का काम नहीं है. फौज को संविधान से परिभाषित अपनी भूमिका तक सीमित रहना चाहिए." बाजवा ने अपने अधिकारियों से कहा कि वे आजादी के बाद असैनिक सरकार के साथ भारतीय सेना के रिश्तों के बारे में येल युनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर स्टीवन आई विल्किंसन की लिखी किताब 'आर्मी ऐंड नेशन’ पढ़ें.
बाजवा ने यह टिप्पणी दिसंबर में सैन्य मुख्यालय की रावलपिंडी गैरिसन में वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों के एक समूह के बीच की थी और यह पाकिस्तान की असैन्य सरकार के साथ पाकिस्तानी सेना के रिश्तों में तब्दीली का एक संकेत है जो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार के लिए एक शुभ समाचार हो सकता है. बाजवा के पूर्वाघिकारी राहील शरीफ से शरीफ सरकार के तल्खी भरे रिश्ते थे. बाजवा ने अपने अधिकारियों को साफ साफ कहा है कि पाकिस्तान में सेना और असैनिक सरकार के बीच स्पर्धा नहीं सहयोग होनी चाहिए.
पाकिस्तानी अंग्रेजी दैनिक 'द नेशन' के अनुसार बाजवा ने कहा, "सरकार चलाने की कोशिश करना फौज का काम नहीं है. फौज को संविधान से परिभाषित अपनी भूमिका तक सीमित रहना चाहिए." बाजवा ने अपने अधिकारियों से कहा कि वे आजादी के बाद असैनिक सरकार के साथ भारतीय सेना के रिश्तों के बारे में येल युनिवर्सिटी के राजनीति शास्त्र एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर स्टीवन आई विल्किंसन की लिखी किताब 'आर्मी ऐंड नेशन’ पढ़ें.
बाजवा ने यह टिप्पणी दिसंबर में सैन्य मुख्यालय की रावलपिंडी गैरिसन में वरिष्ठ सैनिक अधिकारियों के एक समूह के बीच की थी और यह पाकिस्तान की असैन्य सरकार के साथ पाकिस्तानी सेना के रिश्तों में तब्दीली का एक संकेत है जो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार के लिए एक शुभ समाचार हो सकता है. बाजवा के पूर्वाघिकारी राहील शरीफ से शरीफ सरकार के तल्खी भरे रिश्ते थे. बाजवा ने अपने अधिकारियों को साफ साफ कहा है कि पाकिस्तान में सेना और असैनिक सरकार के बीच स्पर्धा नहीं सहयोग होनी चाहिए.
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