अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर तालिबान (Taliban) के काबिज होने के बाद से डर से साये में रह रहे लोगों को आर्थिक मोर्चे पर भी नुकसान पड़ रहा है. अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और नौकरियां खतरे में है. यूएन इंटरनेशल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने बुधवार को कहा कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी छिन गई है.
आईएलओ ने पिछले साल अगस्त में तालिबान के कब्जे के बाद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमराने की चेतावनी देते कहा कि नौकरियों और काम के घंटों में भारी नुकसान हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र ने बयान में कहा कि महिलाओं पर खासतौर पर प्रभाव पड़ा है. साथ ही आशंका जताई है कि अफगानिस्तान संकट और "कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी पर प्रतिबंध" के चलते इस साल के अंत तक करीब 7 लाख लोगों की नौकरियां छिन सकती हैं, जिसके 9,00,000 तक जाने का अनुमान है.
अफगानिस्तान में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन के वरिष्ठ समन्वयक रामिन बेहजाद ने कहा, "अफगानिस्तान में हालात गंभीर हैं और स्थायित्व और रिकवरी के लिए त्वरित समर्थन की जरूरत है." उन्होंने कहा, "मानवीय जरूरतों को पूरा करने प्राथमिकता है, समावेशी और स्थायी रिकवरी लोगों और समुदाय के रोजगार, अजीविका और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच पर निर्भर करेगी."
आईएलओ ने कहा, "तालिबान के सत्ता में आने के बाद से कई अहम क्षेत्रों में नौकरियों पर भारी असर हुआ है." इसमें कृषि और सिविल सेवा क्षेत्र शामिल है, जहां काम करने वालों या तो रोजगार छोड़ना पड़ा है या फिर उन्हें वेतन नहीं मिल रहा है. निर्माण क्षेत्र का भी बुरा हाल है. बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लटके होने के चलते यहां भी लोगों दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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