
- बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से हटाए एक साल पूरा होने पर ढाका में मेगा रैली का आयोजन किया गया.
- अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने लोकतांत्रिक सुधारों का रोडमैप पेश किया और चुनाव फरवरी में कराने की घोषणा की.
- जुलाई विद्रोह को संवैधानिक मान्यता देने के लिए यूनुस ने हजारों शब्दों का जुलाई घोषणापत्र जारी किया.
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल हुए एक साल हो चुके हैं. इस मौके पर ढाका में मंगलवार को एक मेगा रैली का आयोजन हुआ. इस मौके पर अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने लोकतांत्रिक सुधारों का एक रोडमैप पेश किया है. बांग्लादेश में पिछले साल बड़े पैमान पर जन-विद्रोह हुआ था जिसके बाद शेख हसीना की सत्ता चली गई थी. ढाका में इस मौके पर रैलियां, म्यूजिकल शो और प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं. लोगों ने इस मौके का जश्न भी मनाया. कुछ लोग तो इसे 1971 में पाकिस्तान से आजादी के बाद देश की 'दूसरी आजादी' तक करार देते हैं.
पहले अप्रैल में होने थे चुनाव
मुहम्मद यूनुस ने इस अवसर पर जातीय संसद या संसद परिसर के सामने 'जुलाई घोषणापत्र' पढ़ा. उन्होंने इसके साथ ही ऐलान किया कि अगला संसदीय चुनाव अगले वर्ष फरवरी में होगा. यूनुस ने यह टिप्पणी राष्ट्र के नाम एक टेलीविजन संबोधन के दौरान की. इस आंदोलन को 'जुलाई विद्रोह' का नाम दिया गया है. इसकी वजह से लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था. यूनुस ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, 'अंतरिम सरकार की ओर से मैं मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र भेजूंगा जिसमें चुनाव आयोग से अनुरोध किया जाएगा कि वह आगामी रमजान से पहले फरवरी 2026 में राष्ट्रीय चुनाव कराए.' रमजान का महीना अगले साल 17 या 18 फरवरी से शुरू होगा. इससे पहले आम चुनाव अगले वर्ष अप्रैल के पहले पखवाड़े में होने वाले थे.
क्या है जुलाई घोषणा पत्र
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह को संवैधानिक मान्यता देना चाहती थी. इस मान्यता को ही जुलाई घोषणापत्र के तौर जाना जाता है. 1,000 से ज्यादा शब्दों के इस घोषणापत्र में अपदस्थ 'फासीवादी' शासन की गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया गया है. इसमें कहा गया है कि 'इसलिए बांग्लादेश की जनता पूर्व शासकों पर जबरन गुमशुदगी और हत्या, व्यक्तिगत और सामूहिक हत्याओं, और मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाने की प्रबल इच्छा व्यक्त करती है.' यूनुस के अनुसार ने कहा, 'यह घोषणापत्र 5 अगस्त, 2024 के जन-विद्रोह में जीत की खुशी में बांग्लादेश की जनता की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करने के लिए लिखा गया है.'
सुरक्षाबलों की कड़ी निगरानी में रैली
इस पूरे जश्न के दौरान सुरक्षा बलों ने राजधानी में कड़ी निगरानी रखी. सड़कों पर बख्तरबंद वाहन गश्त कर रहे थे ताकि हसीना की अब प्रतिबंधित अवामी लीग पार्टी द्वारा रैलियों, संगीत कार्यक्रमों और प्रार्थना सभाओं जैसे दिन के कार्यक्रमों को बाधित करने के किसी भी प्रयास को रोका जा सके. हालांकि, छिटपुट राजनीतिक रैलियों के अलावा, लगातार बारिश और खराब मौसम के बीच राजधानी की सड़कें शांत थीं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह वर्षगांठ ऐसे समय में मनाई गई है जब हसीना, जो अब भारत में आत्म-निर्वासन में हैं, मानवता के विरुद्ध अपराध जैसे आरोपों में मुकदमों का सामना कर रही हैं, जबकि उनके मंत्रिमंडल और उनकी अवामी लीग पार्टी के अधिकांश सहयोगी जेल में हैं या देश-विदेश में फरार हैं.
क्यों हुआ बांग्लादेश में विद्रोह
85 वर्षीय नोबेल शांति पुरस्कार विजेता यूनुस को पिछले साल 8 अगस्त को अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था, 16 साल लंबे अवामी लीग शासन के पतन के तीन दिन बाद, जब हसीना सेना के जवानों के साथ वायु सेना के हेलीकॉप्टर से देश छोड़कर चली गईं. हसीना के शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 1 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ, जब विश्वविद्यालय के छात्रों ने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली में बदलाव की मांग की. 5 अगस्त, 2024 को, जब हजारों प्रदर्शनकारियों ने हसीना के महल पर धावा बोल दिया, तो वे हेलीकॉप्टर से भाग निकलीं. 77 साल की हसीना भारत भाग गईं और वहीं रह रही हैं. उन्होंने मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोपों पर चल रहे मुकदमे में उपस्थित होने के अदालती आदेशों की अवहेलना की है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं