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This Article is From Dec 06, 2021

क्‍या वैक्‍सीन का नहीं रहेगा असर? ओमिक्रॉन शरीर में तैयार इम्‍यूनिटी से बच सकता है, शोध में आया सामने

दक्षिण अफ्रीका ( South Africa) में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा है कि इसके विपरीत बीटा या डेल्टा वैरिएंट के प्रतिरक्षा से बचने का आबादी स्तरीय कोई प्रमाण नहीं है.

क्‍या वैक्‍सीन का नहीं रहेगा असर? ओमिक्रॉन शरीर में तैयार इम्‍यूनिटी से बच सकता है, शोध में आया सामने
अध्ययन से पता चलता है कि बीटा और डेल्टा स्वरूप का प्रसार प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता के बजाय बढ़ी हुई संक्रामकता के कारण हुआ.
जोहानिसबर्ग:

कोरोना वायरस (Coronavirus) के ओमिक्रॉन वैरिएंट का संबंध पूर्व के संक्रमण से तैयार प्रतिरक्षा को काफी हद तक भेदने की क्षमता से है. आबादी स्तरीय प्रमाणों के आधार पर एक अध्ययन में यह दावा किया गया है. दक्षिण अफ्रीका ( South Africa) में शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा है कि इसके विपरीत बीटा या डेल्टा वैरिएंट के प्रतिरक्षा से बचने का आबादी स्तरीय कोई प्रमाण नहीं है. बी.1.1.529 स्वरूप को पहली बार हाल में दक्षिण अफ्रीका में चिह्नित किया गया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (WHO) ने इसे ‘चिंताजनक स्वरूप' के तौर पर वर्णित किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्वरूप में करीब 50 बार बदलाव हो चुके हैं. इनमें से 32 बदलाव स्पाइक प्रोटीन वाले हिस्से में हुए हैं जिसके जरिए वायरस इंसानों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है.

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यह डेटा-आधारित पहला अध्ययन है जिसमें कहा गया है कि ओमिक्रॉन पहले के संक्रमण से शरीर में तैयार प्रतिरक्षा से बच सकता है. अध्ययन के लेखकों ने लिखा है, ‘‘जनसंख्या-स्तर के साक्ष्य बताते हैं कि ओमिक्रॉन स्वरूप का जुड़ाव पूर्व संक्रमण से तैयार प्रतिरक्षा से बचने की पर्याप्त क्षमता से है. इसके विपरीत, महामारी विज्ञान के संबंध में बीटा या डेल्टा स्वरूप के प्रतिरक्षा से बचने का कोई आबादी स्तरीय प्रमाण नहीं है.''प्रकाशन से पहले इस अध्ययन को पिछले सप्ताह ‘मेडआरएक्सिव' पर पोस्ट किया गया. अभी विशेषज्ञों ने इसकी समीक्षा नहीं की है कि बीटा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के उभार के मद्देनजर क्या दक्षिण अफ्रीका में समय के साथ दोबारा संक्रमण के जोखिम में बदलाव हुआ है.

शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के ‘नेशनल नोटिफायबल मेडिकल कंडीशन सर्विलांस सिस्टम' के जरिए चार मार्च 2020 से 27 नवंबर 2021 के बीच आंकड़ों का विश्लेषण किया. अध्ययन में 2,796,982 लोगों की रिपोर्ट थी जो 27 नवंबर 2021 से कम से कम 90 दिन पहले संक्रमित हुए थे. कम से कम 90 दिनों के अंतराल में दोबारा ‘पॉजिटिव रिपोर्ट' आने पर व्यक्ति को पुन: संक्रमित माना जाता है. अध्ययन में 2,796,982 लोगों में से 35,670 लोग ऐसे थे जो दोबारा संदिग्ध संक्रमित के घेरे में थे.

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साउथ अफ्रीकन डीएसआई-एनआरएफ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एपिडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस (एसएसीईएमए), स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी से जुड़ीं जूलियट आर.सी. पुलियम ने कहा कि इन निष्कर्षों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन में पूर्व में संक्रमित हो चुके लोगों को भी संक्रमित करने की क्षमता है. अध्ययन के लेखकों में शामिल पुलियम ने कहा कि पूर्व के संक्रमण से तैयार प्रतिरक्षा को भेदकर ओमिक्रॉन आगे हो सकता है कि टीके से तैयार प्रतिरक्षा को भी भेद दे. यह वैश्विक स्तर पर लोक स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है. कई ऐसी चीजें भी हैं जिनके बारे में अभी कुछ ज्ञात नहीं है. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि बीटा और डेल्टा स्वरूप का प्रसार प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता के बजाय बढ़ी हुई संक्रामकता के कारण हुआ.

लेखकों ने कहा है कि लोक स्वास्थ्य योजना के लिए इस विश्लेषण के महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं, विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में जहां पूर्व के संक्रमण से प्रतिरक्षा की उच्च दर है. टीका ले चुके लोगों पर ओमिक्रॉन के असर के बारे में पुलियम ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हमारे डेटा में किसी व्यक्ति के टीकाकरण के बारे में जानकारी नहीं है. इसलिए अभी ऐसा कोई विश्लेषण नहीं हो पाया है कि क्या ओमिक्रॉन टीके से तैयार इम्युनिटी को भी भेद सकता है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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