मियामी:
हमारी प्यारी धरती ने नवंबर में गर्मी का एक और रिकॉर्ड तोड़ दिया। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने गुरुवार को कहा कि धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है और संभवत: 2015 आधुनिक इतिहास का सबसे गर्म साल होगा।
नेशनल ओश्यनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी मासिक जलवायु रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 136 साल में नवबंर में इस साल सबसे ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। इसी के साथ यह लगातार सातवां महीना है जब इस साल गर्मी का रिकॉर्ड टूटा है।
20वीं सदी के औसत के मुकाबले इस साल नवंबर में पूरी दुनिया में धरती और समुद्र तल पर तापमान 0.97 डिग्री सेल्सियस (1.75 डिग्री फारेनहाइट) ज्यादा दर्ज किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1880 से 2015 बीच नवंबर में यह सबसे अधिक दर्ज तापमान है।
इस साल अब तक 9 महीने ऐसे रहे हैं जब तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। यही नहीं नवंबर लगातार सातवां महीना रहा जब तापमान ज्यादा रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 के पहले 11 महीने तो औसत तापमान से ज्यादा ही गर्म रहे हैं।
इसका मतलब यह है कि साल 2015 समकालीन समय में सबसे गर्म साल के रूप में 2014 को पीछे धकेलकर नंबर एक बन सकता है। नेशनल सेंटर फॉर एनवायरमेंटल इनफॉर्मेशन में जलवायु विज्ञानी जैक क्रॉच का कहना है कि इस साल गर्मी पूरी दुनिया में ज्यादा रही।
क्रॉच का कहना है कि अगर 2015 गर्मी का नया रिकॉर्ड नहीं बनाना चाहता है तो दिसंबर में धरती का तापमान -0.43 डिग्री फारेनहाइट रहना चाहिए। यह अब तक रिकॉर्ड किए गए सबसे ठंडे दिसंबर 1916 से भी ठंडा होना चाहिए, और ऐसा नहीं होने वाला।
वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती का तापमान लगातार बढ़ने की वजह इंसान की हरकतें हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें छोड़ी जा रही हैं, जिससे गर्मी लगातार बढ़ रही है। क्रॉच ने इस मौसम में उच्च तापमान के लिए अल-नीनो इफेक्ट को भी जिम्मेदार माना है।
नेशनल ओश्यनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी मासिक जलवायु रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 136 साल में नवबंर में इस साल सबसे ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। इसी के साथ यह लगातार सातवां महीना है जब इस साल गर्मी का रिकॉर्ड टूटा है।
20वीं सदी के औसत के मुकाबले इस साल नवंबर में पूरी दुनिया में धरती और समुद्र तल पर तापमान 0.97 डिग्री सेल्सियस (1.75 डिग्री फारेनहाइट) ज्यादा दर्ज किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1880 से 2015 बीच नवंबर में यह सबसे अधिक दर्ज तापमान है।
इस साल अब तक 9 महीने ऐसे रहे हैं जब तापमान ने पिछले सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। यही नहीं नवंबर लगातार सातवां महीना रहा जब तापमान ज्यादा रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 के पहले 11 महीने तो औसत तापमान से ज्यादा ही गर्म रहे हैं।
इसका मतलब यह है कि साल 2015 समकालीन समय में सबसे गर्म साल के रूप में 2014 को पीछे धकेलकर नंबर एक बन सकता है। नेशनल सेंटर फॉर एनवायरमेंटल इनफॉर्मेशन में जलवायु विज्ञानी जैक क्रॉच का कहना है कि इस साल गर्मी पूरी दुनिया में ज्यादा रही।
क्रॉच का कहना है कि अगर 2015 गर्मी का नया रिकॉर्ड नहीं बनाना चाहता है तो दिसंबर में धरती का तापमान -0.43 डिग्री फारेनहाइट रहना चाहिए। यह अब तक रिकॉर्ड किए गए सबसे ठंडे दिसंबर 1916 से भी ठंडा होना चाहिए, और ऐसा नहीं होने वाला।
वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती का तापमान लगातार बढ़ने की वजह इंसान की हरकतें हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें छोड़ी जा रही हैं, जिससे गर्मी लगातार बढ़ रही है। क्रॉच ने इस मौसम में उच्च तापमान के लिए अल-नीनो इफेक्ट को भी जिम्मेदार माना है।
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