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मोसाद से KGB तक:  वो 5 जासूस और उनका सीक्रेट वर्ल्‍ड...जहां सच से ज्‍यादा ताकतवर था भ्रम 

इतिहास में कई ऐसे जासूस रहे हैं जिन्होंने अपनी कुशलता और चालाकी से दुनिया को चौंका दिया. इनका काम सिर्फ जानकारी जुटाना नहीं, बल्कि कई बार राष्‍ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्‍ट्रीय  राजनीति को भी प्रभावित करना रहा.

मोसाद से KGB तक:  वो 5 जासूस और उनका सीक्रेट वर्ल्‍ड...जहां सच से ज्‍यादा ताकतवर था भ्रम 
  • एना चैपमैन को रूस के नए म्यूजियम ऑफ रशियन इंटेलिजेंस का प्रमुख नियुक्त किया गया है जो एसवीआर से जुड़ा है.
  • किम फिल्बी ब्रिटेन के MI6 सदस्य थे जिन्होंने सोवियत संघ को इंटेलीजेंस लीक की कोल्ड वॉर में बड़ा नुकसान किया.
  • एली कोहेन ने सीरिया में गहरी घुसपैठ कर दमिश्क के सैन्य रहस्यों को मोसाद तक पहुंचाया और इजरायल की जीत तय की.
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वॉशिंगटन:

कभी रूस की सबसे ग्लैमरस जासूस कही जाने वाली एना चैपमैन, जासूसी के आरोप में न्यूयॉर्क में अचानक हुई गिरफ्तारी के पंद्रह साल बाद फिर से सुर्खियों में हैं. एना चैपमैन को अब नए बने म्यूजियम ऑफ रशियन इंटेलिजेंस का हेड बनाया गया है. बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट रूस राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की विदेशी जासूसी एजेंसी, एसवीआर (फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस) से जुड़ा है. जासूसी का काम हमेशा रहस्य, खतरों और रोमांच से भरा रहा है. इतिहास में कई ऐसे जासूस रहे हैं जिन्होंने अपनी कुशलता और चालाकी से दुनिया को चौंका दिया. इनका काम सिर्फ जानकारी जुटाना नहीं, बल्कि कई बार राष्‍ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्‍ट्रीय  राजनीति को भी प्रभावित करना रहा. आइए जानते हैं दुनिया के 5 सबसे खतरनाक और चर्चित जासूसों के बारे में. 

किम फिल्बी-ब्रिटेन का सीक्रेट स्‍पाई   

किम फिल्बी ब्रिटिश इंटेलीजेंस एजेंसी MI6 का सदस्य था, लेकिन वह सोवियत संघ के लिए सीक्रेट तौर पर काम करता रहा. फिल्बी के बारे में कहा जाता है कि उसने पश्चिमी खुफिया नेटवर्क को गुप्त जानकारी लीक कर कई मिशनों को नाकाम किया. उन्होंने सन् 1940 और 1950 के दशक में ब्रिटेन और अमेरिका को भारी नुकसान पहुंचाया. फिल्बी ने अपने जासूसी करियर में राजनीतिक, सैन्य और रणनीतिक रहस्यों को सोवियत संघ तक पहुंचाया. उनकी चालाकी और सीक्रेट कार्यशैली के कारण उन्हें कोल्‍ड वॉर का सबसे बड़ा डबल एजेंट माना जाता है. 

एली कोहेन- मोसाद का सबसे बड़ा हथियार

इजरायल की मोसाद एजेंसी के इस महान जासूस का नाम दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसों की लिस्‍ट में आज भी अमर है. साल 1960 के दशक में एली कोहेन ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में अरब समाज में इतनी गहराई से घुसपैठ की कि वह वहां के रक्षा मंत्री और टॉप रैंक्‍ड मिलिट्री ऑफिसर्स के अधिकारियों के भरोसेमंद बन गए. उन्होंने सीरिया की मिलिट्री प्‍लानिंग, ठिकानों और सीमाओं की डिटेल इनफॉर्मेशन मोसाद तक पहुंचाई. कहा जाता है कि उनकी दी गई जानकारियों की वजह से साल 1967 में छह दिन तक चले युद्ध में इजरायल को निर्णायक जीत मिली. लेकिन सन् 1965 में उनका कवर हट गया और उनकी पहचान सामने आ गई. उन्हें दमिश्क में फांसी दे दी गई.आज भी एली कोहेन को मोसाद के इतिहास का 'अमर योद्धा' माना जाता है. 

माताहरी: खूबसूरती के आगे हारे योद्धा  

मैरी ब्लेचेली जिन्‍हें माताहरी के नाम से भी जाना जाता है, डच डांसर और जासूस थीं. प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान वह जर्मनी और फ्रांस दोनों के लिए जासूसी करती रही. माताहरी का नाम आज भी जासूसी की दुनिया में स्मार्ट और खतरनाक महिला जासूस के रूप में लिया जाता है. कहा जाता है कि उन्‍होंनक अपनी सुंदरता और अट्रैक्‍शन का प्रयोग करके फ्रेंच और जर्मन सेना के राज खुलवाए. आखिर में फ्रेंच अधिकारियों ने उन्‍हें पकड़ा और 1917 में फांसी दे दी गई. 

रॉबर्ट हान्सेन: अमेरिका का सबसे बड़ा धोखेबाज 

रॉबर्ट हान्सेन अमेरिकी एफबीआई का एक सीनियर अधिकारी था लेकिन वह सोवियत संघ और बाद में रूस के लिए इंटेलीजेंस लीक करता रहा. हान्सेन ने साल 1980 से 2001 तक करीब 22 साल तक अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी को धोखा दिया. उनकी तरफ से लीक की गई जानकारी से अमेरिका को हथियार, जासूसी तकनीक और गुप्त मिशनों में भारी नुकसान हुआ. हान्सेन की धोखेबाजी को अमेरिका का सबसे शर्मनाक जासूसी कांड माना जाता है.  

 एडवर्ड स्नोडेन-रूस में सुरक्षित अमेरिका का एजेंट! 

एडवर्ड स्नोडेन मॉर्डन टाइम के ऐसे जासूस हैं जिन्‍होंने अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (एनएसए) में काम करते हुए दुनिया को कई बड़े रहस्य उजागर किए. उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की जासूसी गतिविधियों, ऑनलाइन डेटा ट्रैकिंग और नागरिकों की निजी जानकारी के बारे में अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर खुलासा किया. स्नोडेन को कुछ लोग लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता का प्रहरी मानते हैं, जबकि अमेरिका उन्हें देशद्रोही और खतरनाक जासूस कहता है. स्‍नोडेन के खुलासे ने दुनिया में सिक्‍योरिटी, प्राइवेसी और टेक्‍नोलॉजी की नैतिकता पर बहस को जन्‍म दिया. कहा जाता है कि फिलहाल स्‍नोडेन रूस में हैं और उन्‍हें राष्‍ट्रपति पुतिन ने सुरक्षित ठिकाने में रखा है. 

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