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चीन की खुफिया एजेंसी का नाम क्या है? जानें ये कैसे करती है काम

China Spy Agency: चीन की खुफिया एजेंसी को दुनिया की सबसे बड़ी और एक्टिव जासूसी एजेंसी माना जाता है. इसके काम करने का तरीका पारंपरिक नहीं है. यह नए तरीके से लोगों पर नजर रखती है और अपने टारगेट्स पूरे करती है.

चीन की खुफिया एजेंसी का नाम क्या है? जानें ये कैसे करती है काम
चीन की खुफिया एजेंसी का नाम

China Spy Agency: जब भी सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों का जिक्र आता है तो मोसाद, CIA और रॉ का नाम लिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे ताकतवर और रहस्यमयी खुफिया एजेंसियों में सबसे टॉप पर चीन की खुफिया एजेंसी का नाम है. हाल ही में अमेरिकी टीवी शो '60 Minutes' में इसे दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे एक्टिव स्पाई एजेंसी बताया गया. आइए जानते हैं इसका क्या नाम है, यह कैसे काम करती है और कितनी ताकतवर है..

चीन की खुफिया एजेंसी का नाम क्या है

चीन की खुफिया एजेंसी का नाम मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) है. इसकी स्थापना साल 1983 में हुई थी. यह एजेंसी सीधे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के कंट्रोल में काम करती है. ज्यादातर खुफिया एजेंसियां सिर्फ दूसरे देशों की जासूसी करती हैं, लेकिन MSS का सबसे बड़ा फोकस चीन के अपने नागरिक हैं. खासकर वे चीनी नागरिक जो विदेशों में रहते हैं.

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MSS क्या-क्या काम करती है

MSS का काम सिर्फ जानकारी जुटाना नहीं, बल्कि, सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर नजर रखना, विदेशों में रहने वाले असंतुष्ट चीनी नागरिकों को डराना, टेक्नोलॉजी और सीक्रेट्स हासिल करना और सोशल मीडिया और यूनिवर्सिटीज के जरिए नेटवर्क बनाना है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक MSS में 6 लाख से ज्यादा कर्मचारी हो सकते हैं. यह संख्या दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसियों में सबसे बड़ी हो सकती है.

चीन की खुफिया एजेंसी कैसे काम करती है

एक्सपर्ट्स के अनुसार, MSS पारंपरिक जासूसी से कहीं आगे निकल चुकी है. यह यूनिवर्सिटीज, रिसर्च सेंटर्स, बिजनेस हाउस, टेक कंपनियों और लोकल सरकारों में अपने नेटवर्क बनाती है. सोशल मीडिया और प्रोफेशनल प्लेटफॉर्म जैसे लिंक्डइन का इस्तेमाल कर दोस्ती की जाती है, फिर धीरे-धीरे सेंसेटिव जानकारी हासिल की जाती है. कई यूरोपीय देशों, अमेरिका और ब्रिटेन में हजारों लोग ऐसे तरीकों से टारगेट किए जाने की बात सामने आ चुकी है. न्यूयॉर्क में एक कथित गुप्त चीनी पुलिस स्टेशन का खुलासा भी हुआ है. यूरोप, एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक MSS की मौजूदगी के संकेत मिल चुके हैं. ताइवान तो चीन की जासूसी का सबसे बड़ा निशाना माना जाता है.

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