नोबल मेडल की तस्वीर.
नई दिल्ली:
विश्व के सर्वोच्च नोबल शांति पुरस्कार(Nobel Peace Prize for 2018) के विजेताओं के नाम की घोषणा हो गई है. वर्ष 2018 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए कांगो के डॉ मुकवेगे और यजीदी दुष्कर्म पीड़िता नादिया मुराद को चुना गया है. दोनों शख्सियतों को दुनिया में शांति कायम करने की कोशिशों के लिए इस मशहूर पुरस्कार के लिए चुना गया है. नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने नामों की घोषणा करते हुए कहा कि यौन हिंसा को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के इनके प्रयासों के लिए इन दोनों को चुना गया है. उन्होंने कहा, ‘‘एक अति शांतिपूर्ण विश्व तभी बनाया जा सकता है जब युद्ध के दौरान महिलाओं, उनके मूलभूत अधिकारों और उनकी सुरक्षा को मान्यता और सुरक्षा दी जाए.’’
दोनों वैश्विक अभिशाप के खिलाफ संघर्ष का उदाहरण हैं जो केवल एक देश में नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर है और मीटू अभियान इसे साबित करता है. मुकवेगे (63) को युद्ध प्रभावित पूर्वी लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य में यौन हिंसा और बलात्कार पीड़ित महिलाओं को हिंसा और सदमे से बाहर निकालने के क्षेत्र में दो दशक तक काम करने के लिए चुना गया है. मुकवेगे ने 1999 में दक्षिण कीव में पांजी अस्पताल खोला था जहां उन्होंने बलात्कार पीड़ित लाखों महिलाओं, बच्चों और यहां तक कि कुछ माह के शिशुओं का भी उपचार किया है. इन्हें ‘डॉक्टर मिरैकल’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही वह युद्ध के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुखर विरोधी हैं.
मुकवेगे के अलावा समिति ने मुराद को भी नोबेल शांति पुरस्कर के लिए चुना है. मुराद ईराक से हैं और यजीदी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. आतंकवादी संगठन इस्लामी स्टेट ने उन्हें 2014 में अगवा कर लिया था. आंतकवादियों के चंगुल से फरार होने से पहले तीन महीने तक इन्हें यौन दासी बना कर रखा गया था. नार्वे की नोबेल समिति ने कहा, ‘‘डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद दोनों ने युद्ध अपराधों के खिलाफ लड़ाई छेड़ने और पीड़ितों को न्याय की मांग करके अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डाला है. इस प्रकार उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को लागू कर देशों के बीच भाईचारे का प्रचार प्रसार किया है.’ गौरतलब है कि इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए 331 व्यक्तियों और संगठनों को नामित किया गया था. यह पुरस्कार ओस्लो में 10 दिसंबर को प्रदान किया जाएगा.
बता दें कि वर्ष 2018 के लिए मेडिसिन के क्षेत्र में रनेगेटिव इम्यून रेग्यूलेशन के इनहिबिशन के ज़रिये कैंसर थेरेपी की खोज के लिए संयुक्त रूप से जेम्स एलिसन तथा तासुकू हॉन्जो को दिया गया. दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यह माना जाता है.
(इनपुट एएफपी से...)
दोनों वैश्विक अभिशाप के खिलाफ संघर्ष का उदाहरण हैं जो केवल एक देश में नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर है और मीटू अभियान इसे साबित करता है. मुकवेगे (63) को युद्ध प्रभावित पूर्वी लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य में यौन हिंसा और बलात्कार पीड़ित महिलाओं को हिंसा और सदमे से बाहर निकालने के क्षेत्र में दो दशक तक काम करने के लिए चुना गया है. मुकवेगे ने 1999 में दक्षिण कीव में पांजी अस्पताल खोला था जहां उन्होंने बलात्कार पीड़ित लाखों महिलाओं, बच्चों और यहां तक कि कुछ माह के शिशुओं का भी उपचार किया है. इन्हें ‘डॉक्टर मिरैकल’ के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही वह युद्ध के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुखर विरोधी हैं.
मुकवेगे के अलावा समिति ने मुराद को भी नोबेल शांति पुरस्कर के लिए चुना है. मुराद ईराक से हैं और यजीदी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. आतंकवादी संगठन इस्लामी स्टेट ने उन्हें 2014 में अगवा कर लिया था. आंतकवादियों के चंगुल से फरार होने से पहले तीन महीने तक इन्हें यौन दासी बना कर रखा गया था. नार्वे की नोबेल समिति ने कहा, ‘‘डेनिस मुकवेगे और नादिया मुराद दोनों ने युद्ध अपराधों के खिलाफ लड़ाई छेड़ने और पीड़ितों को न्याय की मांग करके अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डाला है. इस प्रकार उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को लागू कर देशों के बीच भाईचारे का प्रचार प्रसार किया है.’ गौरतलब है कि इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए 331 व्यक्तियों और संगठनों को नामित किया गया था. यह पुरस्कार ओस्लो में 10 दिसंबर को प्रदान किया जाएगा.
बता दें कि वर्ष 2018 के लिए मेडिसिन के क्षेत्र में रनेगेटिव इम्यून रेग्यूलेशन के इनहिबिशन के ज़रिये कैंसर थेरेपी की खोज के लिए संयुक्त रूप से जेम्स एलिसन तथा तासुकू हॉन्जो को दिया गया. दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार यह माना जाता है.
हालांकि इस बार साहित्य का नोबल पुरस्कार किसी को न देने का फैसला हुआ है. दरअसल सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े ज्यां-क्लाउड अर्नोल्ट के यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसने पर उपजे विवाद को देखते हुए नोबल पुरस्कार बांटने वाली एकेडमी ने इस बार साहित्य का पुरस्कार न देने का फैसला किया है. पिछले 70 साल में पहली बार ऐसा है कि साहित्य का नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाएगा.हालांकि हर बार की तरह इस बार भी चिकित्सा, भौतिकी, रसायन, शांति और अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार पात्रों को दिया जाएगा. मेडिसिन के नोबल पुरस्कार की घोषणा के बाद शांति के नोबल पुरस्कार पर लोगों की निगाह टिकी है.शांति के नोबल की घोषणा ओस्लो में होगी. बता दें कि डायनामाइट के आविष्कारक एल्फ्रेड नोबेल की याद में हर वर्ष नोबेल पुरस्कार अवॉर्ड दिया जाता है.The Nobel Peace Prize for 2018 has been awarded to Denis Mukwege and Nadia Murad for their efforts to end the use of sexual violence as a weapon of war and armed conflict. pic.twitter.com/bZYIVoU8Z3
— ANI (@ANI) October 5, 2018
(इनपुट एएफपी से...)
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