पुष्प कमल दहल की फाइल फोटो
काठमांडू:
माओवादी प्रमुख प्रचंड भारत सरकार के न्योते पर अगले हफ्ते भारत की यात्रा करने वाले हैं, जबकि नेपाल संविधान को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच गया है, जिससे बरसों का राजनीतिक कलह खत्म हो सकता है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड भारत सरकार के न्योते पर 14 से 18 जुलाई के बीच भारत की यात्रा करेंगे। बहरहाल, यात्रा का ब्योरा और भारत में उनका कार्यक्रम अभी सार्वजनिक किया जाना बाकी है।
60 साल के माओवादी नेता की भारत की यात्रा ऐसे वक्त हो रही है, जब देश विवादास्पद मुद्दों पर कई साल के राजनीतिक गतिरोध के बाद एक नए संविधान को अंतिम रूप देने के करीब है।
प्रचंड की यात्रा इसलिए भी अहम है कि हाल के बरसों में भारत के प्रति उनके तेवर नरम पड़े हैं। इससे पहले उन्होंने अकसर भारत पर तीखा हमला बोला है और उस पर नेपाल के मामलों में दखल देने तथा इसके नेतृत्व को निर्देश देने का आरोप लगाया है।
चार बड़ी राजनीतिक पार्टियां - नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन-माओवादी और मधेशी पीपुल्स फोरम डेमोक्रेटिक - संविधान के मसौदा निर्माण के विवादास्पद मुद्दे को सुलझाने के लिए 16 सूत्री एक समझौते पर पहुंची हैं। 601 सदस्यीय संविधान सभा में इन पार्टियों की 90 प्रतिशत भागीदारी है।
संविधान का पहला मसौदा पिछले हफ्ते संविधान सभा में पेश किया गया और इस पर चर्चा जारी है। इसके बाद मसौदा संविधान नेपाल गजट में प्रकाशित किया जाएगा जिसके लागू होने से पहले लोग चर्चा करेंगे।
इस बीच, कुछ मधेसी पार्टियों ने नेपाल में नियुक्त भारत के राजदूत रंजीत राय से मुलाकात की और संविधान का मसौदा सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
गौरतलब है कि पिछले महीने काठमांडू आई विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने प्रचंड सहित नेपाल के समूचे नेतृत्व से मुलाकात की थी।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि यूनीफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड भारत सरकार के न्योते पर 14 से 18 जुलाई के बीच भारत की यात्रा करेंगे। बहरहाल, यात्रा का ब्योरा और भारत में उनका कार्यक्रम अभी सार्वजनिक किया जाना बाकी है।
60 साल के माओवादी नेता की भारत की यात्रा ऐसे वक्त हो रही है, जब देश विवादास्पद मुद्दों पर कई साल के राजनीतिक गतिरोध के बाद एक नए संविधान को अंतिम रूप देने के करीब है।
प्रचंड की यात्रा इसलिए भी अहम है कि हाल के बरसों में भारत के प्रति उनके तेवर नरम पड़े हैं। इससे पहले उन्होंने अकसर भारत पर तीखा हमला बोला है और उस पर नेपाल के मामलों में दखल देने तथा इसके नेतृत्व को निर्देश देने का आरोप लगाया है।
चार बड़ी राजनीतिक पार्टियां - नेपाली कांग्रेस, सीपीएन-यूएमएल, यूसीपीएन-माओवादी और मधेशी पीपुल्स फोरम डेमोक्रेटिक - संविधान के मसौदा निर्माण के विवादास्पद मुद्दे को सुलझाने के लिए 16 सूत्री एक समझौते पर पहुंची हैं। 601 सदस्यीय संविधान सभा में इन पार्टियों की 90 प्रतिशत भागीदारी है।
संविधान का पहला मसौदा पिछले हफ्ते संविधान सभा में पेश किया गया और इस पर चर्चा जारी है। इसके बाद मसौदा संविधान नेपाल गजट में प्रकाशित किया जाएगा जिसके लागू होने से पहले लोग चर्चा करेंगे।
इस बीच, कुछ मधेसी पार्टियों ने नेपाल में नियुक्त भारत के राजदूत रंजीत राय से मुलाकात की और संविधान का मसौदा सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
गौरतलब है कि पिछले महीने काठमांडू आई विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने प्रचंड सहित नेपाल के समूचे नेतृत्व से मुलाकात की थी।
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