नेपाल में प्रदर्शन करते मधेसी आंदोलनकारी (फाइल फोटो)
काठमांडू:
नेपाल के आंदोलनकारी मधेसी संगठनों ने मंगलवार को कहा कि वे भारतीय सीमा पर नाकेबंदी को छोड़कर अपने सारे प्रदर्शनकारी कार्यक्रम वापस ले लेंगे। आगामी विजय दशमी त्योहार को लेकर उन्होंने यह फैसला किया है। हालांकि, भारत से ईंधन की आपूर्ति में कुछ सुधार हुआ है।
ज्यादातर आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों ने सीपीएन-यूएमएल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ अपना मत दिया था। मधेसी मोर्चा ने चुनाव में मतदान करने के अपने कदम को उचित ठहराने पर चर्चा के लिए कई दौर की बैठकें की, जिसे यहां नये संविधान को लागू करने में प्रथम कार्य के रूप में माना जाता है।
कई मधेसी कार्यकर्ताओं ने सत्ता की राजनीति में भाग लेने को लेकर अपने नेताओं की आलोचना भी की है। मधेसी पार्टियों ने अपनी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहने को लेकर संविधान की प्रतियां जलाईं। हालांकि, उनके नेताओं की भागीदारी ने संविधान लागू करने में किसी न किसी रूप में मदद पहुंचाई।
बिजय गजाधर नीत मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम-डेमोक्रेटिक को छोड़कर सभी अन्य मधेसी सांसदों न ओली के विरोधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री प्रमुख सुशील कोइराला के पक्ष में मतदान किया। गजाधर ने न सिर्फ ओली के समर्थन में मतदान किया, बल्कि नई कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री का पद भी सुरक्षित कर लिया। उनके पास भौतिक नियोजन एवं परिवहन विभाग का प्रभार भी है।
इस बीच, नयी सरकार के गठन के साथ पिछले दो दिनों में भारत से ईंधन की आपूर्ति में सुधार भी हुआ है, जिससे त्योहारी मौसम से पहले लोगों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, आंदोलनकारियों द्वारा सीमा चौकियों पर नाकेबंदी के चलते नेपाल त्योहार के समय पर आवश्यक वस्तुओं की घोर कमी का सामना कर रहा है।
ज्यादातर आंदोलनकारी मधेसी पार्टियों ने सीपीएन-यूएमएल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ अपना मत दिया था। मधेसी मोर्चा ने चुनाव में मतदान करने के अपने कदम को उचित ठहराने पर चर्चा के लिए कई दौर की बैठकें की, जिसे यहां नये संविधान को लागू करने में प्रथम कार्य के रूप में माना जाता है।
कई मधेसी कार्यकर्ताओं ने सत्ता की राजनीति में भाग लेने को लेकर अपने नेताओं की आलोचना भी की है। मधेसी पार्टियों ने अपनी चिंताओं को दूर करने में नाकाम रहने को लेकर संविधान की प्रतियां जलाईं। हालांकि, उनके नेताओं की भागीदारी ने संविधान लागू करने में किसी न किसी रूप में मदद पहुंचाई।
बिजय गजाधर नीत मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम-डेमोक्रेटिक को छोड़कर सभी अन्य मधेसी सांसदों न ओली के विरोधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री प्रमुख सुशील कोइराला के पक्ष में मतदान किया। गजाधर ने न सिर्फ ओली के समर्थन में मतदान किया, बल्कि नई कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री का पद भी सुरक्षित कर लिया। उनके पास भौतिक नियोजन एवं परिवहन विभाग का प्रभार भी है।
इस बीच, नयी सरकार के गठन के साथ पिछले दो दिनों में भारत से ईंधन की आपूर्ति में सुधार भी हुआ है, जिससे त्योहारी मौसम से पहले लोगों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, आंदोलनकारियों द्वारा सीमा चौकियों पर नाकेबंदी के चलते नेपाल त्योहार के समय पर आवश्यक वस्तुओं की घोर कमी का सामना कर रहा है।
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