फाइल फोटो
काठमांडू:
नेपाल ने बढ़ती हिंसा के मद्देनजर और प्रमुख राजमार्गों एवं भारत की सीमा से लगे व्यापार स्थलों से अवरोध हटाने के लिए तराई क्षेत्र में सोमवार को और सुरक्षा बलों की तैनाती की। दूसरी तरफ भारतीय मूल के मधेसियों ने नए संविधान के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करने के लिए कर्फ्यू का उल्लंघन किया।
पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों के मारे जाने के बाद मधेसियों ने नया अभियान शुरू किया। इसके बाद सरकार ने हिंसा पर काबू करने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला किया। हिंसा में अब तक करीब 50 लोग मारे गए हैं।
भारतीय मूल के मधेसियों ने दो महीने से अधिक समय के नाकेबंदी कर रखी है। नाकेबंदी के कारण जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने कहा, हमने राजमार्ग के किनारे और सीमा के निकट के इलाकों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं, ताकि प्रमुख राजमार्गों को खाली कराया जा सके और मालवाहक वाहनों एवं दूसरी गाड़ियों का आवागमन हो सके। उन्होंने कहा, सरकार ने पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय जांच विभाग के कर्मियों को अपनी विशेष राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के तहत तैनात करने का फैसला किया है।
ढकाल ने कहा कि राजमार्गों को खाली कराने के लिए विशेष सुरक्षा योजना बनाई गई है। बहरहाल, सरकार ने तराई क्षेत्र में अभी सेना को तैनात करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर सभी तीन सुरक्षा एजेंसियों को तैनात करना जरूरी हो गया था।
आंदोलनकारी मोर्चे के प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू के आदेश का उल्लंघन किया और सुबह से कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। राजबिराज जिले में झड़पों की खबरे हैं। पुलिस ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और हवा में गोलियां चलाईं। सुरक्षा बलों ने स्वर्ण टोल इलाके में हवाई में गोलियां चलाईं, जहां पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।
इस बीच, प्रमुख मधेसी पार्टी फेडरल सोशलिस्ट पार्टी-नेपाल के प्रमुख उपेंद्र यादव ने लोगों से अपील की है कि वे मीडिया, एंबुलेंस, राजनयिक एजेंसियों, रेडक्रॉस और मानवाधिकार संगठनों के वाहनों की आवाजाही होने दें। यादव की ओर से यह अपील उस वक्त की गई जब दो दिनों पहले आंदोलनकारियों ने दवा ले जा रहे एक ट्रक को आग लगा दी थी और एक एंबुलेंस में तोड़फोड़ की थी।
पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों के मारे जाने के बाद मधेसियों ने नया अभियान शुरू किया। इसके बाद सरकार ने हिंसा पर काबू करने के लिए कड़े कदम उठाने का फैसला किया। हिंसा में अब तक करीब 50 लोग मारे गए हैं।
भारतीय मूल के मधेसियों ने दो महीने से अधिक समय के नाकेबंदी कर रखी है। नाकेबंदी के कारण जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल ने कहा, हमने राजमार्ग के किनारे और सीमा के निकट के इलाकों में सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं, ताकि प्रमुख राजमार्गों को खाली कराया जा सके और मालवाहक वाहनों एवं दूसरी गाड़ियों का आवागमन हो सके। उन्होंने कहा, सरकार ने पुलिस, सशस्त्र पुलिस बल और राष्ट्रीय जांच विभाग के कर्मियों को अपनी विशेष राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के तहत तैनात करने का फैसला किया है।
ढकाल ने कहा कि राजमार्गों को खाली कराने के लिए विशेष सुरक्षा योजना बनाई गई है। बहरहाल, सरकार ने तराई क्षेत्र में अभी सेना को तैनात करने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर सभी तीन सुरक्षा एजेंसियों को तैनात करना जरूरी हो गया था।
आंदोलनकारी मोर्चे के प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू के आदेश का उल्लंघन किया और सुबह से कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। राजबिराज जिले में झड़पों की खबरे हैं। पुलिस ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और हवा में गोलियां चलाईं। सुरक्षा बलों ने स्वर्ण टोल इलाके में हवाई में गोलियां चलाईं, जहां पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई।
इस बीच, प्रमुख मधेसी पार्टी फेडरल सोशलिस्ट पार्टी-नेपाल के प्रमुख उपेंद्र यादव ने लोगों से अपील की है कि वे मीडिया, एंबुलेंस, राजनयिक एजेंसियों, रेडक्रॉस और मानवाधिकार संगठनों के वाहनों की आवाजाही होने दें। यादव की ओर से यह अपील उस वक्त की गई जब दो दिनों पहले आंदोलनकारियों ने दवा ले जा रहे एक ट्रक को आग लगा दी थी और एक एंबुलेंस में तोड़फोड़ की थी।
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