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नेपाल ने सार्क समिट के स्थगन के लिए आतंकवाद को ज़िम्मेदार ठहराया है.
सार्क समिट के लिए अनुकूल माहौल बनाया जाए- नेपाल
नेपाल सार्क के सदस्य देशों के साथ विचार-विमर्श की शुरुआत करेगा.
ये अहम है कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और मालद्वीव के बाद नेपाल ने भी आतंकवाद के मुद्दे को सार्क समिट टलने की वजह बताया है. साथ ही उसने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि क्षेत्रीय सहयोग के लिए ज़रूरी है कि शांति और स्थायित्व का वातावरण हो. सार्क सदस्य के तौर पर हर देश की ज़िम्मेदारी है कि वे ये सुनिश्चित करें कि उनकी ज़मीन का इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा सीमापार आतंकवाद के लिए न हो. दुनिया में हर तरह के आतंकवाद की मज़म्मत करते हुए नेपाल ने उरी में हुए हमले की भी कड़ी निंदा की है, जिसमें 19 भारतीय जवान शहीद हो गए.
नेपाल का बयान आने के बाद आठ देशों के इस ब्लॉक में पाकिस्तान अब बिल्कुल अकेला हो गया है. सार्क समिट में हिस्सा न लेने का ऐलान सबसे पहले भारत ने किया. उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश ने भी देर नहीं लगाई. फिर श्रीलंका, मालदीव और अब नेपाल भी भारत की चिंता के साथ पूरी तक खड़ा हो गया है. पाकिस्तान ने सार्क समिट टालने का ऐलान करते हुए दावा किया था कि 19वां समिट जब भी होगा पाकिस्तान में होगा, लेकिन सार्क के सात देशों के रूख को देखते हुए पाकिस्तान को या तो अपनी ज़मीन से चलाए जा रहे सीमापार आतंकवाद को काबू में करना होगा और मुंबई-उरी-पठानकोट जैसे हमलों के दोषियों पर कार्रवाई करनी होगी. या फिर उसे सार्क की मेज़बानी से हाथ धोना पड़ सकता है.
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