
- नेपाल में विरोध प्रदर्शन के दौरान संसद, सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार जलाए गए और पूर्व मंत्रियों पर हमला हुआ.
- केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा, जिससे नेपाल में केवल 48 घंटे में सत्ता परिवर्तन हो गया.
- पिछले दस साल में नेपाल में तीन बड़े घोटाले हुए जिनसे आम जनता का वित्तीय सिस्टम पर विश्वास हिला है.
नेपाल में सोमवार और मंगलवार को जेन-जी प्रदर्शन के नाम पर जमकर बवाल हुआ. सोशल मीडिया पर बैन की वजह से शुरू हुआ बवाल मंगलवार को और उग्र हो गया. युवाओं ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, सिंह दरबार जलाया और पूर्व पीएम और कई मंत्रियों को बुरी तरह से पीटा. केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़. सिर्फ 48 घंटे में नेपाल में सत्ता परिवर्तन हो गया. सब हैरान थे कि माउंट एवरेस्ट वाला देश अचानक ज्वालामुखी की तरह क्यों भभक उठा है. दरअसल जो कुछ भी नेपाल में हुआ वह एक दिन में लगी आग नहीं थी बल्कि पिछले 17 सालों की वजह चिंगारी थी जो धीरे-धीरे सुलग रही थी. इस बीच तीन ऐसे बड़े घोटाले हुए जिन्होंने चिंगारी को और बढ़ाया.
धीरे-धीरे सुलगी चिंगारी
नेपाल ने पिछले एक दशक में तीन बड़े ऐसे घोटाले देखे जिसने आम इंसान को प्रभावित किया, ये घोटाले थे, गिरी बंधु टी एस्टेट स्कैम, ओरियंटल को-ऑपरेटिव घोटाला और फिर को-ऑपरेटिव स्कैम. लोगों का कहना है कि इन घोटालों के बहाने मंत्रियों ने और राजनेताओं ने टैक्सपेयर्स का पैसा हड़पा. एक नजर डालिए कि आखिर क्यों ये तीनों ही घोटाले नेपाल और यहां की जनता के लिए नासूर क्यों बन गए. इन घटनाओं ने नेपाल के वित्तीय सिस्टम में विश्वास की नींव हिला दी है. हजारों परिवार बर्बाद हो गए और कईयों को अब तक मुआवजे का इंतजार है.
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— NDTV India (@ndtvindia) September 10, 2025
ओली ने बदले नियम
जनवरी 2020 में नेपाल के तत्कालीन पीएम केपी शर्मा ओली ने लैंड मैनेजमेंट एक्ट 1964 में आठवां संशोधन को लागू किया. इस संशोधन के तहत ऐसे नियमों को शामिल किया गया जिसके तहत कंपनियों को तय सीमा से ऊपर जमीन को ट्रांसफर करने, एक्सचेंज करने या फिर देनदारियों को चुकाने के लिए भुगतान की मंजूरी मिल गई. उस समय बालेंद्र शाह काठमांडू के मेयर थे और कई आलोचकों ने इसे 'नीतिगत भ्रष्टाचार'. साथ ही आरोप लगाया कि यह कानून गिरि बंधु एस्टेट को फायदा पहुंचाने के लिए बनाया गया था. बताया जाता है कि इस घेाटाले में 51 बीघा भूमि का अवैध रूप से आदान-प्रदान हुआ और करीब 55 हजार करोड़ का घोटाला हुआ. साल 2024 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार के इस कानून को रद्द कर दिया था.
हजारों लोगों का पैसा फंसा
ओरिएंटल कोऑपरेटिव स्कैम नेपाल का सबसे बड़ा घोटाला है. इस संस्था पर करीब 87 अरब रुपये यानी करीब 630 मिलियन डॉलर की राशि गबन करने का आरोप है. बताया जाता है कि इसमें करीब 59,587 जमाकर्ताओं का पैसा फंसा हुआ है. ओरिएंटल कोऑपरेटिव और उससे जुड़े 40 से ज्यादा सहकारी संस्थाओं ने लोगों को ऊंचे ब्याज और आकर्षक योजनाओं का लालच दिया, लेकिन बाद में उनकी जमा पूंजी वापस नहीं की. जनवरी 2024 तक सरकार सिर्फ 772.44 मिलियन ही जमाकर्ताओं को लौटा पाई थी. यह मामला नेपाल की संसद और सड़कों दोनों पर बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था. पीड़ितों ने लगातार विरोध प्रदर्शन किए और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की थी.
कोऑपरेटिव घोटाला
नेपाल में सहकारी समितियों की स्थापना आम जनता की बचत और छोटे ऋण की सुविधा के लिए की गई थी. लेकिन देखते-देखते कई समितियां भ्रष्टाचार और राजनीतिक प्रभाव का अड्डा बन गईं. इस घोटोल के तहत इमेज को-ऑपरेटिव में पूर्व मेयर देव कुमार नेपाली पर 2.25 अरब रुपये गबन का आरोप लगा. सहकारी धोखाधड़ी के आरोपी बागलुंग के धोरपाटन नगर पालिका के मेयर देव कुमार नेपाली को भारत में गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा स्वर्णलक्ष्मी कोऑपरेटिव इसमें सांसद माया राई पर 23 मिलियन रुपये के गबन का आरोप लगा. वहीं लमजुड कोऑपरेटिव में 65 मिलियन रुपये से ज्यादा की हेराफेरी हुई.
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