नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो)
काठमांडू:
मधेसी मुद्दे पर भारत-नेपाल के बीच गतिरोध के मद्देनजर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली जल्द ही चीन की अपनी प्रथम यात्रा पर जाने वाले हैं, जबकि परंपरागत रूप से यहां के नए प्रधानमंत्री सबसे पहले भारत की यात्रा किया करते थे।
उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने बताया, प्रधानमंत्री ओली नव वर्ष 2016 की शुरुआत चीन की यात्रा के साथ करेंगे, जिस दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। अपनी सप्ताह भर की चीन यात्रा को सम्पन्न कर काठमांडू लौटे थापा ने कहा कि मधेसियों के मुद्दे पर राजनीतिक संकट के बीच ओली की यात्रा के लिए कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
भारत के लोगों के साथ मजबूत सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रखने वाले मधेसियों ने दक्षिणी नेपाल में नाकेबंदी कर रखी है, जिससे ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी पड़ गई है।
अक्टूबर में प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले ओली की प्रस्तावित चीन यात्रा उस परंपरा के उलट है, जिसका नेपाल के नए प्रधानमंत्री पालन किया करते हैं। ज्यादातर नेपाली प्रधानमंत्रियों ने पदभार संभालने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा की है।
नेपाल का प्रधानमंत्री बनने पर इससे पहले सिर्फ पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने अपनी विदेश यात्रा के लिए चीन को प्रथम गंतव्य के रूप में चुना था और बीजिंग ओलिंपिक खेल 2008 में शरीक हुए थे। भारत प्रचंड को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखता है, जो नेपाल को चीन के करीब ले जाना चाहते हैं।
त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से थापा ने कहा कि चीन से ईंधन आयात करने के एक औपचारिक समझौते पर ओली की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किया जाएगा।
इस बीच, चीन एक करोड़ युआन (चीनी मुद्रा) के बदले 14 करोड़ लीटर ईंधन नेपाल को मुहैया करने के लिए राजी हुआ है, ताकि यह अपनी आपात जरूरतों को पूरा कर सके। इससे पहले अक्टूबर में चीन ने 13 करोड़ लीटर पेट्रोल नेपाल को मुहैया किया था, ताकि नए संविधान को लेकर भारत-नेपाल सीमा पर मधेसी नाकेबंदी के चलते वह गंभीर तेल संकट से उबर सके।
मधेसी नेताओं ने संविधान की भेदभावपूर्ण प्रकृति पर अगस्त में शुरू किए गए अपने प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए 11 सूत्री मांग नेपाल सरकार को सौंपी है। उनकी मांगों में प्रांतों की सीमा का पुनर्निर्धारण, आबादी के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण और आनुपातिक प्रतिनिधित्व शामिल है। गौरतलब है कि नेपाल ने सभी तरह के ईंधन के आयात के लिए पेट्रो चाइना के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
उप प्रधानमंत्री कमल थापा ने बताया, प्रधानमंत्री ओली नव वर्ष 2016 की शुरुआत चीन की यात्रा के साथ करेंगे, जिस दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। अपनी सप्ताह भर की चीन यात्रा को सम्पन्न कर काठमांडू लौटे थापा ने कहा कि मधेसियों के मुद्दे पर राजनीतिक संकट के बीच ओली की यात्रा के लिए कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
भारत के लोगों के साथ मजबूत सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रखने वाले मधेसियों ने दक्षिणी नेपाल में नाकेबंदी कर रखी है, जिससे ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी पड़ गई है।
अक्टूबर में प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले ओली की प्रस्तावित चीन यात्रा उस परंपरा के उलट है, जिसका नेपाल के नए प्रधानमंत्री पालन किया करते हैं। ज्यादातर नेपाली प्रधानमंत्रियों ने पदभार संभालने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा की है।
नेपाल का प्रधानमंत्री बनने पर इससे पहले सिर्फ पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने अपनी विदेश यात्रा के लिए चीन को प्रथम गंतव्य के रूप में चुना था और बीजिंग ओलिंपिक खेल 2008 में शरीक हुए थे। भारत प्रचंड को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखता है, जो नेपाल को चीन के करीब ले जाना चाहते हैं।
त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से थापा ने कहा कि चीन से ईंधन आयात करने के एक औपचारिक समझौते पर ओली की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किया जाएगा।
इस बीच, चीन एक करोड़ युआन (चीनी मुद्रा) के बदले 14 करोड़ लीटर ईंधन नेपाल को मुहैया करने के लिए राजी हुआ है, ताकि यह अपनी आपात जरूरतों को पूरा कर सके। इससे पहले अक्टूबर में चीन ने 13 करोड़ लीटर पेट्रोल नेपाल को मुहैया किया था, ताकि नए संविधान को लेकर भारत-नेपाल सीमा पर मधेसी नाकेबंदी के चलते वह गंभीर तेल संकट से उबर सके।
मधेसी नेताओं ने संविधान की भेदभावपूर्ण प्रकृति पर अगस्त में शुरू किए गए अपने प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए 11 सूत्री मांग नेपाल सरकार को सौंपी है। उनकी मांगों में प्रांतों की सीमा का पुनर्निर्धारण, आबादी के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण और आनुपातिक प्रतिनिधित्व शामिल है। गौरतलब है कि नेपाल ने सभी तरह के ईंधन के आयात के लिए पेट्रो चाइना के साथ एक सहमति पत्र (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
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