फाइल फोटो
काठमांडू:
नेपाल के नए संविधान के संघीय ढांचे को लेकर वहां की सरकार एवं भारतीय मूल के मधेसियों के बीच बातचीत का दूसरा दिन बिना किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो गया। प्रदर्शनकारी समूह ने सरकार पर उसकी मुख्य मांग के प्रति गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया।
दोनों पक्षों ने तराई क्षेत्र के मुख्य आंदोलनकारी संगठन ज्वायंट डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (जेडीएमएफ) द्वारा रखी गई मांगों पर चर्चा की, लेकिन इस मामले पर कोई सहमति नहीं बन पाई। सरकार की टीम की अगुवाई वन मंत्री महेश आचार्य ने की।
आंदोलनकारी ग्रुप के अहम सदस्यों में से एक सद्भावना पार्टी के उपाध्यक्ष लक्ष्मण लाल कर्ण ने कहा, 'सरकार हमारी मांग पर गंभीर नहीं दिख रही है।' जेडीएमएफ ने संविधान में निर्धारित राज्यों का आकार तत्काल बदलने पर जोर दिया, जबकि सरकारी वार्ताकारों ने कहा कि उपुयक्त कानूनी प्रक्रिया के जरिये ही परिवर्तन किया जा सकता है।
कर्ण ने कहा, हमारी मांग सीमा रेखा का अंकन है। उन्होंने सीमांकन विषय के हल के लिए आयोग बनाने का आश्वासन दिया, जिसे हमने मंजूर नहीं किया और वार्ता खत्म हो गई। आचार्य ने कहा कि सात प्रांतों में बदलाव केवल आयोग के जरिये ही किया जा सकता है और ऐसे में आयोग का गठन आवश्यक है। उन्होंने कहा, सरकार या पार्टी प्रांत के मुद्दे पर ऐसा कोई निर्णय ले पाने में समर्थ नहीं है। यह गंभीर राजनीतिक मामला है। दोनों पक्ष शुक्रवार को अगले दौर की वार्ता करने पर सहमत हुए।
मंगलवार को भी वार्ता बिना किसी प्रगति के खत्म हो गई थी, क्योंकि सरकारी प्रतिनिधि आंदोलनकारी समूहों की मांगों का हल करने के लिए कोई रोडमैप नहीं पेश कर पाए थे। नेपाल में पुलिस तथा मधेसी, थारू समुदायों और जातीय अल्पसंख्यकों द्वारा शुरू किए गए प्रदर्शन में झड़प में पिछले एक महीने में 40 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
इसी बीच भैरहवा सुनौली सीमा बेलहिया चौकी पर बुधवार को पुलिस एवं मधेसी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मधेसी ग्रुप के प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिसके बाद झड़प शुरू हुई। प्रदर्शनकारी भारत से नेपाल में प्रवेश कर रहे तेल टैंकरों एवं अन्य वाहनों को रोकने की कोशिश कर रहे थे।
दोनों पक्षों ने तराई क्षेत्र के मुख्य आंदोलनकारी संगठन ज्वायंट डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (जेडीएमएफ) द्वारा रखी गई मांगों पर चर्चा की, लेकिन इस मामले पर कोई सहमति नहीं बन पाई। सरकार की टीम की अगुवाई वन मंत्री महेश आचार्य ने की।
आंदोलनकारी ग्रुप के अहम सदस्यों में से एक सद्भावना पार्टी के उपाध्यक्ष लक्ष्मण लाल कर्ण ने कहा, 'सरकार हमारी मांग पर गंभीर नहीं दिख रही है।' जेडीएमएफ ने संविधान में निर्धारित राज्यों का आकार तत्काल बदलने पर जोर दिया, जबकि सरकारी वार्ताकारों ने कहा कि उपुयक्त कानूनी प्रक्रिया के जरिये ही परिवर्तन किया जा सकता है।
कर्ण ने कहा, हमारी मांग सीमा रेखा का अंकन है। उन्होंने सीमांकन विषय के हल के लिए आयोग बनाने का आश्वासन दिया, जिसे हमने मंजूर नहीं किया और वार्ता खत्म हो गई। आचार्य ने कहा कि सात प्रांतों में बदलाव केवल आयोग के जरिये ही किया जा सकता है और ऐसे में आयोग का गठन आवश्यक है। उन्होंने कहा, सरकार या पार्टी प्रांत के मुद्दे पर ऐसा कोई निर्णय ले पाने में समर्थ नहीं है। यह गंभीर राजनीतिक मामला है। दोनों पक्ष शुक्रवार को अगले दौर की वार्ता करने पर सहमत हुए।
मंगलवार को भी वार्ता बिना किसी प्रगति के खत्म हो गई थी, क्योंकि सरकारी प्रतिनिधि आंदोलनकारी समूहों की मांगों का हल करने के लिए कोई रोडमैप नहीं पेश कर पाए थे। नेपाल में पुलिस तथा मधेसी, थारू समुदायों और जातीय अल्पसंख्यकों द्वारा शुरू किए गए प्रदर्शन में झड़प में पिछले एक महीने में 40 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
इसी बीच भैरहवा सुनौली सीमा बेलहिया चौकी पर बुधवार को पुलिस एवं मधेसी प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मधेसी ग्रुप के प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, जिसके बाद झड़प शुरू हुई। प्रदर्शनकारी भारत से नेपाल में प्रवेश कर रहे तेल टैंकरों एवं अन्य वाहनों को रोकने की कोशिश कर रहे थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं