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This Article is From May 12, 2015

भूकंप से तबाह नेपाल में फंड को लेकर सरकार और दानकर्ताओं के बीच ठनी

भूकंप से तबाह नेपाल में फंड को लेकर सरकार और दानकर्ताओं के बीच ठनी
काठमांडू: नेपाल में 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद पुनर्निर्माण और राहत वितरण के काम में बहुत बड़ी समस्या पेश आ रही है। कुछ दानकर्ता एजेंसियां सरकार को फंड न देकर परियोजनाओं और कार्यक्रमों को अपने तरीके से संचालित करना चाहती हैं।

कई अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन और दानकर्ता एजेंसियां सरकारी प्रणाली के जरिये फंड नहीं देना चाहती हैं, जिस कारण नेपाली अधिकारी गुस्से में हैं। उनके मुताबिक, सरकार की क्षमता पीड़ितों तक पहुंचने की नहीं है।

उसी तरह भारत, चीन और कुछ दूसरे एशियाई देशों के अलावा, कुछ दानकर्ता एजेंसियां व मित्र राष्ट्र प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में फंड देने को इच्छुक नहीं हैं।

काठमांडू में पिछले हफ्ते दानकर्ता समुदाय के साथ बैठक में वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि सभी फंड सरकारी प्रणाली या प्रधानमंत्री राहत कोष के माध्यम से ही खर्च किए जाएंगे।

सरकार व दानकर्ता एजेंसियों के बीच खींचतान के कारण अंतरराष्ट्रीय व दानकर्ता समुदाय से कोष में फिलहाल फंड नहीं आ रहा। नेपाल सरकार ने पहले ही दो अरब डॉलर के पुनर्निर्माण फंड की घोषणा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पहले ही आपदाग्रस्त देश के पुनर्निर्माण तथा पुनर्वास प्रयासों के लिए दान करने की अपील कर चुका है।

वित्त मंत्रालय में विदेशी सहायता समन्वय प्रभाग की प्रमुख मधु मसरानी ने कहा कि वित्त मंत्रालय बुधवार को व्यापक तौर पर एक दानकर्ता बैठक का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें वह सरकार के रुख को दोहराएगा।

संसद में सोमवार को सांसदों ने सरकार के राहत वितरण प्रयास तथा विदेशी सहायता के तौर-तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने सरकार को राष्ट्र की प्राथमिकताओंसे न हटने और सरकारी प्रणाली से इतर फंड ग्रहण न करने का आग्रह किया।

उन्होंने हैती का उदाहरण दिया, जहां साल 2010 में आए भीषण भूकंप में तीन लाख लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि यह देश बेतरतीब विदेशी सहायता प्रबंधन और सरकार को फंड न देकर विदेशी एजेंसियों द्वारा खुद उसका प्रबंधन करने के कारण आज तक संकट से नहीं उबर पाया।

इस बीच सत्तारूढ़ और विपक्षी सांसदों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह विदेशी मदद लेने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बारे में सूचना देने की अपील की।

सत्तारूढ़ गठबंधन साझीदार सीपीएन-यूएमएल के सांसद सिद्धि लाल सिंह ने कहा, 'हमें इसकी जांच करनी चाहिए कि विदेशी यहां कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'हमें उन पर निगरानी रखनी चाहिए।'

संसद में एक दर्जन से अधिक सांसदों ने दानकर्ता एजेंसियों की गतिविधियों पर चिंता जताई और सरकार को सहायता फंड न देकर खुद इसका प्रबंधन करने के उनके फैसले की आलोचना की।

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