लाहौर:
पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विधानसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की है। प्रत्यक्ष निर्वाचन वाली 41 सीटों में से 30 सीटें हासिल करके पीएमएल-एन ने नई सरकार बनाने के लिए दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर लिया है।
गुरुवार को हुए विधानसभा चुनाव में कुल 26 राजनीतिक दलों के 423 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) विजेता बनकर उभरी। पिछली सरकार बनाने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के हिस्से में सिर्फ दो सीटें आईं, जबकि क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को भी दो सीटें मिलीं। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को तीन सीटें हासिल हो पाई हैं।
माना जा रहा था कि मुख्यधारा के तीन दलों - पीएमएल-एन, पीपीपी और पीटीआई - के बीच मुकाबला कड़ा रहने वाला है, लेकिन पीएमएल-एन ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरत में डालते हुए चुनावी मैदान जीत लिया। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विधानसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए गुरुवार को कुल 26.74 लाख लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में वर्ष 1975 में सरकार के संसदीय स्वरूप को लाए जाने के बाद से यह अब तक की नौंवीं विधानसभा होगी।
हालांकि यह क्षेत्र 14,245 वर्ग किलोमीटर तक फैला है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया इस क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह प्रक्रिया पूरे पाकिस्तान में होती है, क्योंकि सीधे निर्वाचन वाली 41 में से 12 सीटों के सदस्यों का चुनाव देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 4,38,884 मतदाता करते हैं। 12 सीटें जम्मू एवं कश्मीर से पाकिस्तान आए लोगों के लिए आरक्षित हैं।
मोटे तौर पर चुनाव सेना की देखरेख में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। कुछ मतदान केंद्रों पर पीएमएल-एन और पीटीआई के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों की खबरें आईं, जिनमें पांच लोग घायल हुए हैं।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जनता और निर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा, "(पाकिस्तान के कब्जे वाले) कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव होना लोकतंत्र में लोगों का विश्वास है... हमारी सरकार (पाकिस्तान के कब्जे वाले) कश्मीर की नवनिर्वाचित सरकार की पूरी मदद करेगी..." नवाज शरीफ ने कहा, "पाकिस्तानी लोग कश्मीर में रहने वाले अपने भाइयों को उनकी आजादी के संघर्ष में मदद देने के लिए एकजुट हैं..."
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त जस्टिस गुलाम मुस्तफा मुगल ने कहा कि मतदान के दौरान घाटी में कहीं से भी किसी दुर्घटना या हिंसा की 'कोई शिकायत नहीं' आई। उन्होंने पारदर्शी तरीके से मतदान कराने के लिए संघीय सरकार और पाकिस्तानी सेना का शुक्रिया अदा किया।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पीपीपी को वर्ष 1973 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने उतारा था। वर्ष 2010 तक मुस्लिफ कॉन्फ्रेंस इसकी कड़ी प्रतिद्वंद्वी रही, लेकिन 2010 में नवाज शरीफ की ओर से पीएमएल-एन को इस क्षेत्र में लाए जाने पर स्थिति बदल गई।
वर्ष 2011 के चुनाव में पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच कांटे की टक्कर थी, जबकि मुस्लिम कॉन्फ्रेंस भी मैदान में थी। पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर मुश्किल ही केंद्र के खिलाफ जाता है और इसलिए पीपीपी ने आसान जीत हासिल करके तब सरकार बना ली थी। पीएमएल-एन ने भी 10 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था। लंबे समय तक शासन कर चुकी मुस्लिम कॉन्फ्रेंस चार सीटों तक सिमट गई थी।
गुरुवार को हुए विधानसभा चुनाव में कुल 26 राजनीतिक दलों के 423 उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) विजेता बनकर उभरी। पिछली सरकार बनाने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के हिस्से में सिर्फ दो सीटें आईं, जबकि क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को भी दो सीटें मिलीं। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस को तीन सीटें हासिल हो पाई हैं।
माना जा रहा था कि मुख्यधारा के तीन दलों - पीएमएल-एन, पीपीपी और पीटीआई - के बीच मुकाबला कड़ा रहने वाला है, लेकिन पीएमएल-एन ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरत में डालते हुए चुनावी मैदान जीत लिया। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विधानसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए गुरुवार को कुल 26.74 लाख लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में वर्ष 1975 में सरकार के संसदीय स्वरूप को लाए जाने के बाद से यह अब तक की नौंवीं विधानसभा होगी।
हालांकि यह क्षेत्र 14,245 वर्ग किलोमीटर तक फैला है, लेकिन चुनावी प्रक्रिया इस क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह प्रक्रिया पूरे पाकिस्तान में होती है, क्योंकि सीधे निर्वाचन वाली 41 में से 12 सीटों के सदस्यों का चुनाव देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 4,38,884 मतदाता करते हैं। 12 सीटें जम्मू एवं कश्मीर से पाकिस्तान आए लोगों के लिए आरक्षित हैं।
मोटे तौर पर चुनाव सेना की देखरेख में शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। कुछ मतदान केंद्रों पर पीएमएल-एन और पीटीआई के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पों की खबरें आईं, जिनमें पांच लोग घायल हुए हैं।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की जनता और निर्वाचित सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा, "(पाकिस्तान के कब्जे वाले) कश्मीर में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव होना लोकतंत्र में लोगों का विश्वास है... हमारी सरकार (पाकिस्तान के कब्जे वाले) कश्मीर की नवनिर्वाचित सरकार की पूरी मदद करेगी..." नवाज शरीफ ने कहा, "पाकिस्तानी लोग कश्मीर में रहने वाले अपने भाइयों को उनकी आजादी के संघर्ष में मदद देने के लिए एकजुट हैं..."
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुख्य चुनाव आयुक्त जस्टिस गुलाम मुस्तफा मुगल ने कहा कि मतदान के दौरान घाटी में कहीं से भी किसी दुर्घटना या हिंसा की 'कोई शिकायत नहीं' आई। उन्होंने पारदर्शी तरीके से मतदान कराने के लिए संघीय सरकार और पाकिस्तानी सेना का शुक्रिया अदा किया।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पीपीपी को वर्ष 1973 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने उतारा था। वर्ष 2010 तक मुस्लिफ कॉन्फ्रेंस इसकी कड़ी प्रतिद्वंद्वी रही, लेकिन 2010 में नवाज शरीफ की ओर से पीएमएल-एन को इस क्षेत्र में लाए जाने पर स्थिति बदल गई।
वर्ष 2011 के चुनाव में पीपीपी और पीएमएल-एन के बीच कांटे की टक्कर थी, जबकि मुस्लिम कॉन्फ्रेंस भी मैदान में थी। पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर मुश्किल ही केंद्र के खिलाफ जाता है और इसलिए पीपीपी ने आसान जीत हासिल करके तब सरकार बना ली थी। पीएमएल-एन ने भी 10 सीटें जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था। लंबे समय तक शासन कर चुकी मुस्लिम कॉन्फ्रेंस चार सीटों तक सिमट गई थी।
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