अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा.
संयुक्त राष्ट्र:
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज परोक्ष युद्धों में शामिल राष्ट्रों को इसे खत्म करने को कहा. साथ ही उन्हें चेतावनी दी कि यदि समुदायों को सह अस्तित्व की इजाजत नहीं दी गई तो चरमपंथ के अंगारे उन्हें जला डालेंगे जिससे अनगिनत लोग पीड़ित होंगे और चरमपंथ बाहरी मुल्कों में पहुंचेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने आठवें और आखिरी संबोधन में ओबामा ने स्वीकार किया कि चरमपंथ और साम्प्रदायिक हिंसा पश्चिम एशिया को अस्थिर कर रहा है तथा इसके कहीं और फैलने से फौरन नहीं रोका जा सकेगा.
ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71 वें सत्र में कहा, ‘‘कोई बाहरी शक्ति विभिन्न धार्मिक समुदायों को या जातीय समुदायों को लंबे समय तक सह अस्तित्व रखने के लिए सक्षम होने के लिए मजबूर करने नहीं जा रही.’’ उन्होंने चेतावनी दी कि समुदायों के सह अस्तित्व के बारे में बुनियादी सवालों का जवाब दिए जाने तक चरमपंथ के अंगारे जलते रहेंगे. अनगिनत मानव पीड़ित होंगे और चरमपंथ बाहरी देशों तक फैलता रहेगा. उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर जोर देना होगा कि सभी पक्ष एक साझा मानवता को मान्यता दें और अव्यवस्था को तूल देने वाले परोक्ष युद्धों को देश खत्म करें.
भारत ने पाकिस्तान पर जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देकर, सशस्त्र करने और प्रशिक्षण देकर एक परोक्ष युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है. यह संगठन सीमा पार से भारत की सरजमीं पर हमले करते हैं.
ओबामा का बयान अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की टिप्पणी के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा था कि वह आतंकवादियों को अपनी सरजमीं का सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल करने से रोकें.
गौरतलब है कि रविवार को कश्मीर के उरी में सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए. यह हमला पाक आधारित जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों ने किया था.
ओबामा ने कहा, ‘‘हमने आतंकवादियों के पनाहगाह मिटाए हैं, परमाणु अप्रसार व्यवस्था को मजबूत किया है और कूटनीति के जरिए इरानी परमाणु मुद्दा सुलझाया है. हमने क्यूबा के साथ संबंध के द्वार खोले हैं और हम म्यांमार की नई लोकतांत्रिक नेता का इस सभा में स्वागत करते हैं.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को अपने आठवें और आखिरी संबोधन में ओबामा ने स्वीकार किया कि चरमपंथ और साम्प्रदायिक हिंसा पश्चिम एशिया को अस्थिर कर रहा है तथा इसके कहीं और फैलने से फौरन नहीं रोका जा सकेगा.
ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71 वें सत्र में कहा, ‘‘कोई बाहरी शक्ति विभिन्न धार्मिक समुदायों को या जातीय समुदायों को लंबे समय तक सह अस्तित्व रखने के लिए सक्षम होने के लिए मजबूर करने नहीं जा रही.’’ उन्होंने चेतावनी दी कि समुदायों के सह अस्तित्व के बारे में बुनियादी सवालों का जवाब दिए जाने तक चरमपंथ के अंगारे जलते रहेंगे. अनगिनत मानव पीड़ित होंगे और चरमपंथ बाहरी देशों तक फैलता रहेगा. उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर जोर देना होगा कि सभी पक्ष एक साझा मानवता को मान्यता दें और अव्यवस्था को तूल देने वाले परोक्ष युद्धों को देश खत्म करें.
भारत ने पाकिस्तान पर जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को समर्थन देकर, सशस्त्र करने और प्रशिक्षण देकर एक परोक्ष युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया है. यह संगठन सीमा पार से भारत की सरजमीं पर हमले करते हैं.
ओबामा का बयान अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की टिप्पणी के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कहा था कि वह आतंकवादियों को अपनी सरजमीं का सुरक्षित पनाहगाह के तौर पर इस्तेमाल करने से रोकें.
गौरतलब है कि रविवार को कश्मीर के उरी में सेना के एक बटालियन मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए. यह हमला पाक आधारित जैश ए मोहम्मद के आतंकवादियों ने किया था.
ओबामा ने कहा, ‘‘हमने आतंकवादियों के पनाहगाह मिटाए हैं, परमाणु अप्रसार व्यवस्था को मजबूत किया है और कूटनीति के जरिए इरानी परमाणु मुद्दा सुलझाया है. हमने क्यूबा के साथ संबंध के द्वार खोले हैं और हम म्यांमार की नई लोकतांत्रिक नेता का इस सभा में स्वागत करते हैं.’’
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