
- नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच अपने पद से इस्तीफा दिया
- सोमवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोग मारे गए और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया गया था
- प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन आज हिंसक हो उठा, यहां तक कि संसद तक में भी आग लगा दी गई
नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने देश में जारी सरकार विरोधी जबर्दस्त प्रदर्शनों के मद्देनजर आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ओली ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों द्वारा सरकार विरोधी नारे लगाते हुए उनके कार्यालय में घुसने के कुछ ही देर बाद पद छोड़ दिया. ओली के इस्तीफे से कुछ घंटे पहले प्रदर्शनकारियों ने सोमवार की मौतों की जवाबदेही की मांग करते हुए बालकोट स्थित नेपाली नेता के निजी आवास में आग लगा दी थी. सोशल मीडिया साइट पर सरकार के प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 19 लोग मारे गए थे. विरोध प्रदर्शनों के बाद, सरकार ने सोशल मीडिया साइट से प्रतिबंध कल रात हटा लिया. नेपाल में किस वक्त हालत बेहद खराब है, पड़ोसी मुल्क की मौजूद स्थिति पर सीनियर पत्रकार नलिनी सिंह ने क्या कहा
नेपाल के हालात पर क्या बोलीं नलिनी सिंह
नलिनी सिंह ने कहा कि यकीनन इस वक्त नेपाल के हालात बहुत खराब हो चुके हैं. नेपाल का इतिहास है कि यहां 2006 से लेकर 2008 तक वहां पर बहुत हलचल रही. यहां पर उस वक्त खतरा भी होता था सड़कों पर जाने का. उस वक्त ये हो रहा था कि नेपाल के लोग राजशाही को धकेल रहे थे, उस वक्त इसी तरह के युवा थे. उस वक्त राजनीतिक पार्टियां भी थी. प्रचंड भी थे और केपी ओली शर्मा उनके साथ मिलकर मोर्चा संभाले हुए थे. लोगों ने जब राजशाही को धकेल दिया फिर भी यहां जिदंगी चलती रही, नेपाल ने खुद को हर हाल में संंभाला. राजपरिवार में इतना बड़ा हत्याकांड हुआ, उसके बाद भी नेपाल संभला. मुझे तो कोई शक नहीं है कि नेपाल इस बार भी उठ खड़ा होगा. मैं कल से कह रही हं कि 20 युवा फायरिंग में मर गए तो ये तो मान के चलना चाहिए था कि सरकार गिरेगी.
अब कौन नेृत्तव संभालेगा
केपी शर्मा ओली अगर इस वक्त काठमांडू में है, मैंने सुना कि उन्होंने एक मीटिंग बुलाई थी लेकिन अब सब चीजें हाथ से निकल गई तब आप कह रहे हैं कि नेतृत्व कौन संभालेगा. जो युवा है जिन्हें Gen Z कह रहे हैं, अब तो सरकार भी गिरा दी है. जबकि सोशल मीडिया से भी बैन हट गया. अब तो लड़ाई ये है कि पिछले चार पीएम जो रहे हैं उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. यहां तक कि केपी शर्मा ओली पर भी है कि इन्होंने एक टी स्टेट की जमीन को कमर्शियल इस्तेमाल के लिए दे दिया. प्रचंड पर भी आरोप लग चुके हैं कि यूएन ने जो पैसे माओवादियों से बातचीत के लिए भेजे उन्होंंने इन्हें अपने पास रख लिया. शेर बहादुर पर कई आरोप लगे हैं, उनकी पत्नी पर भी आरोप हैं. ये आरोप अभी तक साबित हो पाए है या फिर नहीं. ये तो एकदम अलग बात है.
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