
- नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने प्रदर्शनकारियों को हिंसा रोकने की अंतिम चेतावनी दी.
- उन्होंने देशवासियों से संयम बरतने और विरोध बंद कर वार्ता के जरिए समस्या सुलझाने की अपील की.
- सेना प्रमुख ने राष्ट्रीय धरोहर, सार्वजनिक संपत्ति और आम नागरिकों की सुरक्षा को सभी की जिम्मेदारी बताया.
'अगर रात 10 बजे के बाद हिंसा हुई तो...' ये लास्ट वॉर्निंग दी है नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने. दरअसल, नेपाल में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो देश के आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिगडेल (Nepal Army Chief Warning) आगे आए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को लास्ट वॉर्निंग दे डाली. उन्होंने देश के नाम अपने संबोधन में क्या बड़ी बातें कहीं. चलिए जानते हैं.
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विरोध रोककर बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील
2 मिनट 40 सेकंड के वीडियो संदेश में सेना प्रमुख ने सख्त चेतावनी दी. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से विरोध रोककर बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की. उन्होंने कहा- अगर हिंसा, लूटपाट और आगजनी नहीं रुकी, तो रात 10 बजे से पूरे देश में सेना और सुरक्षा एजेंसियां तैनात होंगी. सेना, पुलिस और सरकारी अधिकारियों ने संयुक्त अपील में संयम बरतने और बातचीत से संकट का हल निकालने को कहा. उनका कहना है कि राष्ट्रीय धरोहर और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है.
नेपाल के सेना प्रमुख की लास्ट वॉर्निंग
'स्वतंत्रता, सार्वभौम सत्ता, भौगोलिक अखंडता, स्वाधीनता, राष्ट्रीय एकता और नेपाली जनता की सुरक्षा के लिए विषम परिस्थितियों में भी, नेपाली सेना प्रतिबद्ध रही है, यह तथ्य हम सभी को सर्वविदित है. नेपाल में हाल में हो रहे आंदोलन के दौरान हुई जन-धन की अपूरणीय क्षति के प्रति गहरा दुःख प्रकट करते हुए, दिवंगत आत्मा की चिर शांति की कामना करने के साथ ही, शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति नेपाली सेना हार्दिक संवेदना और सहानुभूति प्रकट करती है। साथ ही, घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी करते हैं।. आंदोलन के दौरान अब तक बहुत जन-धन की क्षति हो चुकी है, इसलिए जन-धन की और क्षति को रोकने और शांति, सुरक्षा, अमन-चैन एवं राष्ट्रीय एकता और सद्भाव बनाए रखना हम सभी नेपालियों का साझा दायित्व है.
आंदोलन रोककर बातचीत का आह्वान
वर्तमान असहज परिस्थिति को सामान्य करते हुए, राष्ट्रीय एवं ऐतिहासिक धरोहरों, सार्वजनिक और नागरिकों की संपत्ति, आम नागरिकों, मित्र राष्ट्रों के राजनयिक मिशनों और उनके नागरिकों को सुरक्षा का आश्वासन देकर राष्ट्र के सर्वोपरि हित की रक्षा करना हम सभी का साझा कर्तव्य है. इसलिए, इस विषम परिस्थिति से राष्ट्र को शांतिपूर्ण तरीके से निकालने के लिए, आंदोलनरत समूहों से आंदोलन के कार्यक्रमों को स्थगित कर वार्ता के लिए आह्वान करते हैं.
लेकिन सवाल यह है कि क्या तनाव के बीच शांति संभव है? क्या नेपाल में शांति लौटेगी? नेपाल एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है.क्या युवा और सरकार शांतिपूर्ण रास्ता निकाल पाएंगे, या सेना की तैनाती से हालात बदल जाएंगे? ये देखना होगा'
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