
पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल पर हुए नृशंस आतंकी हमले में 100 से अधिक बच्चों की मौत हो गई।
इस हमले में मारे गए 14 साल अपने बेटे अब्दुल्ला का शव लेने अस्पताल पहुंचे ताहिर अली बेहद गमगीन होकर कहते हैं, 'मेरा बेटा आज सुबह यूनिफॉर्म में था, अब ताबूत में है।' वह कहते हैं, 'मेरा बेटा मेरा ख्वाब था। मेरा ख्वाब मारा गया।'
अपने मासूम बेटे को खो चुकी एक मां इस दर्द से बिलखती हुई कहती है, 'मेरे बेटे को नकली बंदूक से भी डर लगता था, असली बंदूक देखकर उस पर क्या गुजरी होगी। मार डाला मेरे बच्चे को।'
आतंकियों के इस हमले ने बच्चों को मानसिक रूप से किस तरह झकझोर दिया है, इसका अंदाजा इस हमले में घायल हुए बच्चों की प्रतिक्रिया से लगाया जा सकता है। अस्पताल में भर्ती एक घायल बच्चा कहता है, मैं बड़ा होकर सभी आंतकवादियों को मार दूंगा। उन्होंने मेरे भाई को मार डाला। मैं उन्हें बख्शूंगा नहीं, एक-एक को मार डालूंगा।'
वहीं एक मासूम बताता है, जो बच्चे अब तक रो और चिल्ला रहे थे, मैंने देखा कि वे एक-एक कर गिरने लगे। मैं भी गिर गया। मुझे बाद में पता चला कि मुझे गोली लगी है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं