पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेश मुशर्रफ ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान से नाटो बलों का जाना युद्ध प्रभावित देश में भारत और पाकिस्तान को 'छद्म युद्ध' की ओर धकेल सकता है।
'आतंकवाद के खिलाफ युद्ध' में पाकिस्तानी शासक के तौर पर अमेरिका के सहयोगी रहे मुशर्रफ फिलहाल कराची स्थित अपने आवास में कड़ी सुरक्षा के बीच रहते हैं। उन्हें एक ओर तालिबान से जान का खतरा है, तो दूसरी ओर उनके खिलाफ विभिन्न आपराधिक मामले चल रहे हैं।
पाकिस्तान में 1999 में बिना खून बहाए सैन्य तख्ता पलट के जरिए सत्ता हासिल करने वाले 71 वर्षीय मुशर्रफ ने अफगानिस्तान के नए राष्ट्रपति अशरफ गनी की तारीफ की। गनी पिछले ही सप्ताह पाकिस्तान यात्रा पर आए थे।
तालिबान के खिलाफ 13 साल की लड़ाई के बाद अमेरिकी नेतृत्व वाली नाटो सेना इस साल के अंत तक वापस लौट जाएगी और ऐसे में अफगानिस्तान में शांति के लिए पाकिस्तान के सहयोग को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
लेकिन पूर्व सैन्य शासक ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर हुई सबसे खतरनाक गोलीबारी के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को शांत करना अफगानिस्तान में शांति के लिए महत्वपूर्ण है।
कराची स्थित अपने आवास पर मुशर्रफ ने कहा, 'अफगानिस्तान में भारतीय प्रभाव पाकिस्तान के लिए खतरा है..।' उनका कहना है, 'वह पूरे क्षेत्र और पाकिस्तान के लिए और एक खतरा है क्योंकि वहां भारतीय प्रभाव में पाकिस्तान-विरोधी संकेत मौजूद हैं। वह (भारत) पाकिस्तान-विरोधी अफगानिस्तान बनाना चाहते हैं।' मुशर्रफ ने कहा, 'अगर भारतीय अफगानिस्तान में जातीय तत्वों का उपयोग कर रहे हैं, तो पाकिस्तान भी अपने समर्थन में जातीय तत्वों का इस्तेमाल करेगा और हमारे जातीय तत्व निश्चित रूप से पश्तून हैं।' उन्होंने कहा, 'इस तरह हम अफगानिस्तान में छद्म युद्ध छेड़ रहे हैं। इससे बचना चाहिए।'
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