प्रतीकात्मक फोटो
इस्लामाबाद:
मुंबई आतंकवादी हमला मामले की सुनवाई कर रही पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक अदालत ने संघीय जांच एजेंसी को निर्देश दिया है कि वह सभी 24 भारतीय गवाहों को उसके समक्ष पेश करे ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें। अदालत का यह आदेश ऐसा है, जिससे मामले की सुनवाई में और विलंब हो सकता है। इस्लामाबाद की आतंकवाद निरोधक अदालत मुंबई आतंकवादी हमले के सात आरोपियों के खिलाफ सुनवाई कर रही है, जिसमें हमले का मुख्य षड्यंत्रकर्ता एवं लश्करे तैयबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी भी शामिल हैं।
गुरुवार को अदालत ने रावलपिंडी स्थित अदियाला जेल में सुनवाई के दौरान यह भी निर्देश दिया कि अजमल कसाब और अन्य द्वारा इस्तेमाल की गई नावों को भारत से वापस लाया जाना चाहिए और उसे मामले से जुड़ी वस्तु बनाया जाए। अदालत के एक अधिकारी ने कहा कि निचली अदालत ने संघीय जांच एजेंसी महानिदेशक को निर्देश दिया है कि सभी 24 भारतीय गवाहों को अदालत में पेश किया जाए ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें।
इसके अलावा अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अजमल कसाब द्वारा इस्तेमाल की गई नाव को पाकिस्तान लाया जाए, क्योंकि यह मामले से संबंधित वस्तु है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय इस संबंध में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी आयोग ने 2012 में जिन चार प्रमुख भारतीय गवाहों के बयान दर्ज किए थे, वे निचली अदालत में स्वीकार नहीं क्योंकि भारत सरकार ने उनसे जिरह की अनुमति नहीं दी थी।
आठ सदस्यीय न्यायिक आयोग ने वरिष्ठ निरीक्षक रमेश महाले का बयान दर्ज किया था, जिन्होंने मुंबई हमले की जांच की थी। आयोग ने अपनी कार्यवाही समाप्त करने से पहले दो चिकित्सकों के बयान भी दर्ज किये थे, जिन्होंने मुंबई हमले में मारे गए लोगों तथा सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराये गए आतंकवादियों का पोस्टमार्टम किया था। मजिस्ट्रेट आर वी सावंत वाघुले ने कसाब की गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसका इकबालिया बयान दर्ज किया था और उसका बयान भी दर्ज किया था।
न्यायिक आयोग ने पाकिस्तानी की आतंकवाद निरोधक अदालत की तरफ से भारत का दौरा किया था। यह माना जाता था कि भारतीय गवाहों के बयान निचली अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल होंगे। यद्यपि लखवी के वकील ने आयोग की कार्यवाही को चुनौती दी क्योंकि मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट एस एस शिंदे ने उसके सदस्यों को गवाहों से जिरह की इजाजत नहीं दी। यहां की निचली अदालत ने तदनुसार आयोग की कार्यवाही को अवैध करार दिया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमले की योजना में शामिल लश्करे तैयबा के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
लखवी के अलावा अन्य गिरफ्तार लश्करे तैयबा के सदस्यों में अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, सादिक, शाहिद जमील, जमील अहमद और यूनुस अंजुम शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अदालत में 2009 से सुनवाई चल रही है। 55 वर्षीय लखवी को गत 2014 के दिसम्बर में जमानत मिल गई थी और उसे पिछले वर्ष 10 अप्रैल को अदालत से रिहा कर दिया गया। उसे जेल से तब रिहा किया गया जब लाहौर उच्च न्यायालय ने लखवी को जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखने के सरकार के आदेश को दरकिनार कर दिया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गुरुवार को अदालत ने रावलपिंडी स्थित अदियाला जेल में सुनवाई के दौरान यह भी निर्देश दिया कि अजमल कसाब और अन्य द्वारा इस्तेमाल की गई नावों को भारत से वापस लाया जाना चाहिए और उसे मामले से जुड़ी वस्तु बनाया जाए। अदालत के एक अधिकारी ने कहा कि निचली अदालत ने संघीय जांच एजेंसी महानिदेशक को निर्देश दिया है कि सभी 24 भारतीय गवाहों को अदालत में पेश किया जाए ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें।
इसके अलावा अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अजमल कसाब द्वारा इस्तेमाल की गई नाव को पाकिस्तान लाया जाए, क्योंकि यह मामले से संबंधित वस्तु है और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय इस संबंध में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी आयोग ने 2012 में जिन चार प्रमुख भारतीय गवाहों के बयान दर्ज किए थे, वे निचली अदालत में स्वीकार नहीं क्योंकि भारत सरकार ने उनसे जिरह की अनुमति नहीं दी थी।
आठ सदस्यीय न्यायिक आयोग ने वरिष्ठ निरीक्षक रमेश महाले का बयान दर्ज किया था, जिन्होंने मुंबई हमले की जांच की थी। आयोग ने अपनी कार्यवाही समाप्त करने से पहले दो चिकित्सकों के बयान भी दर्ज किये थे, जिन्होंने मुंबई हमले में मारे गए लोगों तथा सुरक्षा बलों द्वारा मार गिराये गए आतंकवादियों का पोस्टमार्टम किया था। मजिस्ट्रेट आर वी सावंत वाघुले ने कसाब की गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसका इकबालिया बयान दर्ज किया था और उसका बयान भी दर्ज किया था।
न्यायिक आयोग ने पाकिस्तानी की आतंकवाद निरोधक अदालत की तरफ से भारत का दौरा किया था। यह माना जाता था कि भारतीय गवाहों के बयान निचली अदालत में सबूत के तौर पर इस्तेमाल होंगे। यद्यपि लखवी के वकील ने आयोग की कार्यवाही को चुनौती दी क्योंकि मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट एस एस शिंदे ने उसके सदस्यों को गवाहों से जिरह की इजाजत नहीं दी। यहां की निचली अदालत ने तदनुसार आयोग की कार्यवाही को अवैध करार दिया। पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमले की योजना में शामिल लश्करे तैयबा के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
लखवी के अलावा अन्य गिरफ्तार लश्करे तैयबा के सदस्यों में अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, सादिक, शाहिद जमील, जमील अहमद और यूनुस अंजुम शामिल हैं। इन सभी के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अदालत में 2009 से सुनवाई चल रही है। 55 वर्षीय लखवी को गत 2014 के दिसम्बर में जमानत मिल गई थी और उसे पिछले वर्ष 10 अप्रैल को अदालत से रिहा कर दिया गया। उसे जेल से तब रिहा किया गया जब लाहौर उच्च न्यायालय ने लखवी को जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखने के सरकार के आदेश को दरकिनार कर दिया।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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