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न्यायिक आयोग ने कहा है कि अमेरिका में देश के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी का हाथ रहस्यमयी मेमो के पीछे था जिसमें पाकिस्तान को तख्तापलट से बचाने के लिए अमेरिकी सहयोग की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त आयोग ने अपनी जांच को सार्वजनिक किया है और प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व वाले नौ सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को सुबह पैनल की रिपोर्ट पर गौर करना शुरू किया।
पीठ के समक्ष सील रिपोर्ट पेश होने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने अटार्नी जनरल इरफान कादिर से कहा कि वह अनुशंसाओं को पढ़ें। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका में राजदूत के तौर पर काम करते हुए हक्कानी पाकिस्तान के प्रति ‘वफादार नहीं’ रहे और और देश के परमाणु हथियारों, सुरक्षा बलों, इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस और संविधान को कमतर आंका।
पैनल ने कहा कि कथित मेमो विश्वसनीय था और हक्कानी के निर्देश पर तैयार किया गया था। इसमें कहा गया कि मेमो के माध्यम से हक्कानी ने अमेरिका से सहयोग मांगा और वह नये राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे का प्रमुख बनना चाहते थे। पैनल ने कहा कि वाशिंगटन में पाकिस्तानी दूतावास द्वारा एक गुप्त कोष से करीब बीस लाख डॉलर के खर्च का हक्कानी ने हिसाब नहीं दिया था।
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