ढाका:
बांग्लादेश के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बांग्लादेश के बारे में की गई टिप्पणी पर उनका देश कोई औपचारिक बयान नहीं देगा। समाचार पत्र 'डेली स्टार' में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि ढाका औपचारिक बयान नहीं देगा, क्योंकि भारत सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से स्पष्टीकरण दे दिए जाने के बाद वह इसकी जरूरत महसूस नहीं करता। विदेश सचिव मिजारुल कायेज ने रविवार को कहा, "मैंने भारतीय विदेश मंत्रालय और ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी किए गए दोनों बयानों को देखा है। इन दोनों बयानों के बाद मैं इस मुद्दे पर एक और बयान की जरूरत नहीं महसूस करता।" कायेज ने विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायुक्त रजीत मित्तर से मुलाकात के बाद मीडियाकर्मियों से यह बात की। ज्ञात हो कि मनमोहन सिंह ने 29 जून को सम्पादकों के एक समूह के साथ बातचीत में बांग्लादेश की स्थिति पर अपने आकलन के बारे में खुलकर अनौपचारिक रूप से बात की थी। उन्होंने कहा था कि वहां की कम से कम 25 प्रतिशत आबादी जमीयत-ए-इस्लामी के प्रभाव में है और वे सभी भारत विरोधी हैं। कई बार वे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चंगुल में भी होते हैं। उसके बाद शनिवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने मामले को रफा-दफा करने के मकसद से कहा कि भारत, बांग्लादेश के साथ अपने सम्बंधों को सर्वोच्च महत्व देता है। मनमोहन सिंह की टिप्पणी को लेकर बवाल ऐसे समय में खड़ा हुआ है, जब विदेश मंत्री एसएम कृष्णा तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर छह जुलाई को ढाका पहुंचने वाले हैं। वह बांग्लादेश की विदेश मंत्री दीपू मोनी से बातचीत करेंगे। कृष्णा का यह दौरा मनमोहन सिंह के प्रस्तावित दौरे की तैयारी के सिलसिले में है। कायेज ने कहा कि ढाका में कृष्णा के कुछ कार्यक्रमों को फिर से तय किया जाएगा, क्योंकि हड़ताल का एक मुद्दा उठ खड़ा हुआ है। मुख्य विपक्ष, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगी दलों ने कार्यवाहक प्रणाली को समाप्त करने और अन्य संवैधानिक संशोधनों के विरोध में छह-सात जुलाई को 48 घंटे के बंद का आह्वान कर रखा है।
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