
कादर खान का नाम सुनते ही एक ऐसे कलाकार की छवि उभरती है, जो हर किरदार में जान डाल देता था. चाहे खलनायक बनकर डराना हो, हास्य से हंसाना हो, या गंभीर भूमिका से दर्शकों को बांधना हो, कादर खान हर रोल में कमाल कर जाते थे. बहुमुखी अभिनेता ने 300 से ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया और 250 से अधिक फिल्मों के लिए डायलॉग लिखे. उनकी लिखी कहानियां और संवाद आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं. कादर खान को उनके शानदार योगदान के लिए कई सम्मान मिले.
2013 में उन्हें साहित्य शिरोमणि पुरस्कार से नवाजा गया. अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम फ्रॉम इंडिया ने भी उन्हें मुस्लिम समुदाय के लिए उनकी सेवाओं के लिए दो बार सम्मानित किया. 2019 में भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत पद्म श्री से सम्मानित किया. कादर खान ने एक्शन, कॉमेडी, रोमांस और पारिवारिक ड्रामा जैसी हर तरह की फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी. उनकी लिखी फिल्म 'रोटी' की कहानी को जब मनमोहन देसाई ने सुना, तो वे इतने खुश हुए कि उन्होंने कादर खान को टीवी और घड़ी भेंट की. जब देसाई ने उनकी फीस पूछी, तो कादर खान ने 21 हजार रुपये बताए. इस पर देसाई ने कहा, "अब से तुम्हारी कीमत एक लाख इक्कीस हजार है."
कादर खान ने 1973 में फिल्म 'दाग' से अभिनय की शुरुआत की. इसके बाद 'राजा बाबू', 'हीरो नंबर 1', 'जुदाई', 'लावारिस', 'नसीब', 'धरमवीर' जैसी 300 से ज्यादा फिल्मों में यादगार किरदार निभाए. उन्होंने 'छैला बाबू', 'धर्म कांटा', 'हिम्मतवाला', 'तोहफा', 'सरफरोश' जैसी फिल्मों के लिए संवाद लिखे, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रहीं. कादर खान की मौजूदगी फिल्म में मस्ती और मनोरंजन की गारंटी थी.
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