- माली में इस्लामी विद्रोहियों ने तेल के आयात पर नाकेबंदी लगाकर ईंधन की गंभीर कमी पैदा कर दी है
- सरकार ने 9 नवंबर तक सभी स्कूल और विश्वविद्यालय बंद करने का फैसला किया है जिससे शिक्षा प्रभावित हो रही है
- विद्रोहियों ने प्रमुख हाईवेज पर टैंकरों पर हमला कर राजधानी बमाको सहित कई इलाकों में ईंधन आपूर्ति रोक दी है
अफ्रीका के इस देश में जिहादी विद्रोहियों ने सरकार को इस हद तक मजबूर कर दिया है कि तमाम स्कूल-कॉलेज को बंद करना पड़ा है. हम बात कर रहे हैं पश्चिमी अफ्रीकी देश माली की. यहां के इस्लामी विद्रोहियों ने तेल के आयात पर पूरी तरह नाकेबंदी लगा दी है. इस वजह से ईंधन (फ्यूल) की इतनी गंभीर कमी हो गई है कि माली की सरकार ने देश भर में स्कूलों और विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार माली के शिक्षा मंत्री अमादौ सी सवाने ने टीवी पर आकर घोषणा की कि यहां के सभी शैक्षणिक संस्थान 9 नवंबर तक बंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि इन विद्रोहिया की नाकाबंदी से स्कूल-कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है.
क्या रहा है?
कई हफ्तों से माली ईंधन की कमी से जूझ रहा है, खासकर राजधानी बमाको में. इसकी वजह है क अल-कायदा से जुड़े उग्रवादियों ने देश के प्रमुख हाईवेज पर तेल ले जाने वाले टैंकरों पर हमला करके नाकाबंदी लगा दी है. माली जमीन से घिरा हुआ एक देश है, इसलिए यहां सभी तेल की स्पलाई सेनेगल और आइवरी कोस्ट जैसे पड़ोसी देशों से सड़क के रास्ते होती है.
माली पर वर्तमान में जनरल असिमी गोइता के नेतृत्व वाले सैन्य जुंटा (सैन्य सरकार) का शासन है, जिसने 2021 में तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. जब जुंटा ने सत्ता संभाली तो उसे जनता का समर्थन प्राप्त था. इस सैन्य सरकार ने देश के उत्तर में जातीय तुआरेग्स द्वारा अलगाववादी विद्रोह के कारण लंबे समय से चल रहे सुरक्षा संकट से निपटने का वादा किया था. उस समय इस इलाके पर इस्लामी आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया था.
सैन्य सरकार ने असुरक्षा से निपटने के लिए रूसी भाड़े के सैनिकों को काम पर रखा है. हालांकि, जिहादी विद्रोह जारी है और देश के उत्तर और पूर्व का बड़ा हिस्सा सरकारी नियंत्रण से बाहर है.