फाइल फोटो
काठमांडू:
नए संविधान का विरोध कर रहे नेपाल के मधेसियों ने भारत से लगी सीमा पर अपनी करीब पांच महीने की नाकेबंदी सोमवार को खत्म कर दी। इससे देश में ईंधन, दवाओं और दूसरे जरूरी सामानों की भीषण कमी पैदा हो गई थी और इसने भारत-नेपाल के संबंधों को भी प्रभावित किया था।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (यूडीएमएफ) के नेताओं की एक बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा गया, देश के सामने मौजूद वर्तमान संकट और लोगों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को देखते हुए आम हड़ताल, सीमा की नाकाबंदी, सरकारी कार्यालयों की बंदी के वर्तमान विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों को अभी के लिए वापस लिया जाता है।
बयान में कहा गया, जब तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा। गत शुक्रवार को दोनों देशों के आक्रोशित व्यवसायियों ने आंदोलनकारी मधेसियों द्वारा लगाए गए तंबुओं में आग लगा दी थी।
फ्रंट के सदस्यों में शामिल सद्भावना पार्टी के उपाध्यक्ष लक्ष्मणलाल कर्ण ने कहा, यूडीएमएफ नेताओं ने अपने वर्तमान विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम वापस लेने का फैसला किया। सीमा की नाकेबंदी को खत्म करने की घोषणा प्रधानमंत्री केपी ओली की 19 फरवरी को होने वाली भारत यात्रा से पहले की गई है। नए नेपाली प्रधानमंत्री का यह पहला विदेश दौरा होगा।
प्रधानमंत्री ओली ने आंदोलन वापस लेने के मधेसियों के फैसले का स्वागत करते हुए इसे एक 'सकारात्मक कदम' बताया। ओली के प्रेस सलाहकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, प्रधानमंत्री ने मतभेदों को दूर करने के लिए दलों के बीच बातचीत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है कि हमारे बीच बातचीत के माध्यम से ही मतभेदों एवं विवादों का हल किया जा सकता है।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (यूडीएमएफ) के नेताओं की एक बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा गया, देश के सामने मौजूद वर्तमान संकट और लोगों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को देखते हुए आम हड़ताल, सीमा की नाकाबंदी, सरकारी कार्यालयों की बंदी के वर्तमान विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों को अभी के लिए वापस लिया जाता है।
बयान में कहा गया, जब तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाता, आंदोलन जारी रहेगा। गत शुक्रवार को दोनों देशों के आक्रोशित व्यवसायियों ने आंदोलनकारी मधेसियों द्वारा लगाए गए तंबुओं में आग लगा दी थी।
फ्रंट के सदस्यों में शामिल सद्भावना पार्टी के उपाध्यक्ष लक्ष्मणलाल कर्ण ने कहा, यूडीएमएफ नेताओं ने अपने वर्तमान विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम वापस लेने का फैसला किया। सीमा की नाकेबंदी को खत्म करने की घोषणा प्रधानमंत्री केपी ओली की 19 फरवरी को होने वाली भारत यात्रा से पहले की गई है। नए नेपाली प्रधानमंत्री का यह पहला विदेश दौरा होगा।
प्रधानमंत्री ओली ने आंदोलन वापस लेने के मधेसियों के फैसले का स्वागत करते हुए इसे एक 'सकारात्मक कदम' बताया। ओली के प्रेस सलाहकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा, प्रधानमंत्री ने मतभेदों को दूर करने के लिए दलों के बीच बातचीत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है कि हमारे बीच बातचीत के माध्यम से ही मतभेदों एवं विवादों का हल किया जा सकता है।
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