
देशभर में दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है. सभी मंदिरों को आकर्षक तरीके से सजाया गया है. नेपाल के जनकपुर का जानकी मंदिर भी भव्य रूप से सजाया गया है. यह मंदिर राम भक्तों के लिए बहुत खास है. माना जाता है कि इसी मंदिर में भगवान राम और मां सीता की शादी हुई थी. मां सीता का जन्म भी यहीं हुआ था. जनकपुर का जानकी मंदिर बहुत खास है, क्योंकि मंदिर की बनावट में नेपाल और बिहार की मिथिला संस्कृति को बहुत अच्छे से दिखाया गया है.
इस मंदिर को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि मां सीता के नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा है. मां सीता का वास्तविक नाम जानकी था. उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जनकपुर रखा गया.
माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 1895 में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी के कहने पर हुआ था. मंदिर को बनने में काफी समय लगा. बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण 1895 से लेकर 1911 तक चला था और 9 लाख रुपए का खर्च आया था। इसी कारण मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर का क्षेत्रफल करीब 4,860 वर्ग फीट है. मंदिर को बनाने के पीछे एक किंवदंती है, जिसमें नेपाल के लोगों का मानना है कि मंदिर की जगह पर पहले घना जंगल हुआ करता था और वहां शुरकिशोर दास तपस्या करते थे. उन्हें वहां मां सीता की मूर्ति मिली, जिसके बाद मूर्ति को स्थापित कर मंदिर की स्थापना की गई.
इतना ही नहीं, मंदिर में टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु दर्शन करने के लिए पहुंची थीं. उनकी कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने जानकी मां के मंदिर में संतान की इच्छा प्रकट की थी. उन्होंने मनोकामना की थी कि अगर उनकी इच्छा पूरी होती है तो वे मंदिर का भव्य निर्माण कराएंगी, और ऐसा ही हुआ. संतान प्राप्ति के बाद महारानी ने मंदिर का भव्य निर्माण करवाया. इसी घटना के बाद से मंदिर की ख्याति काफी बढ़ गई और संतानहीन दंपति मंदिर में आने लगे. दीपावली के मौके पर मां सीता के मंदिर में रौनक देखी जाती है. इस दिन भक्तों का तांता लग जाता है और पूरे दिन कीर्तन और अनुष्ठान होते रहते हैं.
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