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This Article is From Aug 14, 2022

ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद के लिए किए गए सर्वेक्षण में लिज ट्रस ने ऋषि सुनक पर बनाई निर्णायक बढ़त

कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के लिए डाक मतपत्र के जरिये मतदान कर निवर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का उत्तराधिकारी चुनने के लिए अंतिम तारीख दो सितंबर तय की गई है, जिसमें अब महज करीब तीन हफ्ते का समय बचा है.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री पद के लिए किए गए सर्वेक्षण में लिज ट्रस ने ऋषि सुनक पर बनाई निर्णायक बढ़त
लंदन:

ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद और सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ में आगे चल रहीं मौजूदा विदेश मंत्री लिज ट्रस अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक पर 22 अंकों की निर्णायक बढ़त बनाई हुई हैं. यह जानकारी टोरी (कंजर्वेटिव) सदस्यों के बीच कराए गए सर्वेक्षण के जारी नतीजों से मिली है.

'द आब्जर्वर' अखबार द्वारा कजंर्वेटिव पार्टी के 570 सदस्यों को शामिल करते हुए किये गए 'ओपिनियम पोल' के मुताबिक 61 प्रतिशत सदस्यों ने ट्रस का समर्थन किया, जबकि 39 प्रतिशत ने भारतीय मूल के सुनक को समर्थन देने की बात कही. सर्वेक्षण में शामिल सदस्य पार्टी नेतृत्व के चुनाव में मतदान की अर्हता रखते हैं और पार्टी का नेतृत्व करने वाला ही प्रधानमंत्री पद पर आसीन होता है.

उल्लेखनीय है कि कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के लिए डाक मतपत्र के जरिये मतदान कर निवर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का उत्तराधिकारी चुनने के लिए अंतिम तारीख दो सितंबर तय की गई है, जिसमें अब महज करीब तीन हफ्ते का समय बचा है. सर्वेक्षण के मुताबिक सुनक हाल के दिनों में (ट्रस और अपने बीच) इस अंतर को मामूली रूप से पाट सके हैं.

'ओपिनियम' के क्रिस कर्टिस ने अखबार को बताया, "जिस समय हमें अंतिम दो उम्मीदवारों के बारे में पता चला, तभी स्पष्ट हो गया था कि सारे समीकरण ट्रस के पक्ष में हैं. हमारा नवीनतम ओपिनियम पोल केवल यह पता लगाने के लिए है कि पार्टी सदस्यों के बीच उनकी बढ़त कितनी है."

उन्होंने कहा, "कई सदस्य पहले ही मतदान कर मतपत्र लौटा चुके हैं, ऐसे में बहुत कम संभावना है कि ट्रस सितंबर में प्रधानमंत्री नहीं बनेंगी. यह स्पष्ट है कि सुनक की सबसे बड़ी समस्या विश्वास है. हालांकि कुछ सदस्य आर्थिक मुद्दों पर उनके तर्कों का समर्थन करते हैं, लेकिन सदस्यों के बीच बनी यह राय कि वह ईमानदार नहीं हैं या इस शीर्ष पद के लिए पर्याप्त भरोसेमंद नहीं हैं, उनके (सदस्यों के) विचार बदलने के लिए काफी नहीं है."

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