प्रतीकात्मक फोटो.
बीजिंग:
चीन के सरकारी मीडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कश्मीर विवाद 46 अरब डॉलर की लागत वाली चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना को आगे बढ़ाने के चीन के प्रयासों को ‘‘बाधित करता’’ है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चीन को भारत की ‘‘छोटी-मोटी चालबाजियों’’ को रोकने के लिए उसका ‘तुष्टीकरण’ करते रहना चाहिए.
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के पीपुल्स डेली समूह से जुड़े ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया, ‘‘कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच का विवाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना को आगे बढ़ाने के चीन के प्रयासों को बाधित करता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि छोटी-मोटी चालें चलने से भारत को रोकने के लिए चीन को ‘भारत का तुष्टीकरण’ करना चाहिए.’’ रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत को यह बात पता होनी चाहिए कि अगर वह क्षेत्रीय एकीकरण और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बहुत कम योगदान करता है, तो उसकी महान शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा सिद्ध नहीं होगी.’’
फोर्ब्स पत्रिका में अमेरिका के एक विश्लेषक पनोस मॉरडॉकोटस का कल एक लेख छपा था जिसमें उन्होंने महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर बीजिंग की आलोचना की थी. इस पर प्रतिक्रिया के रूप में चीन की सरकारी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है.
फोर्ब्स में छपे इस लेख में कहा गया था कि चीन ने ‘‘भारत को खुश करने का’’ बहुत कम प्रयास किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के पीपुल्स डेली समूह से जुड़े ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया, ‘‘कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच का विवाद चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना को आगे बढ़ाने के चीन के प्रयासों को बाधित करता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि छोटी-मोटी चालें चलने से भारत को रोकने के लिए चीन को ‘भारत का तुष्टीकरण’ करना चाहिए.’’ रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत को यह बात पता होनी चाहिए कि अगर वह क्षेत्रीय एकीकरण और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में बहुत कम योगदान करता है, तो उसकी महान शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा सिद्ध नहीं होगी.’’
फोर्ब्स पत्रिका में अमेरिका के एक विश्लेषक पनोस मॉरडॉकोटस का कल एक लेख छपा था जिसमें उन्होंने महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर बीजिंग की आलोचना की थी. इस पर प्रतिक्रिया के रूप में चीन की सरकारी मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है.
फोर्ब्स में छपे इस लेख में कहा गया था कि चीन ने ‘‘भारत को खुश करने का’’ बहुत कम प्रयास किया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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