धर्मशाला:
तिब्बत की निर्वासित सरकार ने शुक्रवार को करमापा के चीनी एजेंट होने के आरोप को खारिज करते हुए उनका जमकर बचाव किया और कहा कि वह तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा में 100 प्रतिशत आस्था रखते हैं। करमापा के मठ से हाल में भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा बरामद हुई थी। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री समधोंग रिनपोचे ने कहा कि आरंभ से ही दलाई लामा और तिब्बती समुदाय जानता है कि वह चीनी एजेंट नहीं हैं और इस पूरे विवाद को मीडिया द्वारा बिना सुनवाई के दिया गया फैसला करार दिया। भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बातचीत में रिनपोचे ने कहा, आदरणीय दलाई लामा की करमापा में 100 प्रतिशत आस्था है। वह चीनी एजेंट नहीं हैं। हम शुरूआत से ही जानते हैं। उन्हें भारत सरकार ने शुरू से ही कुछ कारणवश दो मठों को छोड़कर पूरे भारत में कहीं भी जाने की अनुमति दी है। रिनपोचे ने कहा कि करमापा उग्येन ट्रिनले दोरजी एक मुक्त व्यक्ति हैं और उनका उन वित्तीय अनियमितताओं से कोई लेना देना नहीं है जो पूरे विवाद का कारण थी। तिब्बती प्रधानमंत्री ने कहा, करमापा एक व्यक्ति हैं और अपने मठ के किसी भी वित्तीय लेन देन से जुड़े नहीं थे। ऐसा लगता है कि उनके जो कर्मचारी गिरफ्तार किये गये हैं, वे इसमें शामिल थे। केवल कुछ सीमा तक हम सहन कर सकते हैं। यह मीडिया द्वारा बिना सुनवाई के निर्णय दिये जाने का मामला है। उन्होंने कहा कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ देश का कानून अपनी कार्रवाई करेगा। तिब्बतियों के 17वें करमापा हाल ही में उस समय चर्चा में आये थे जब हिमाचल प्रदेश पुलिस ने उनके मठ से करीब चार लाख रपये विदेशी मुद्रा बरामद की थी और उनसे और उनके सचिव गोम्पू त्शेरिंग से पूछताछ की थी। इस संबंध में गिरफ्तार किये गये लोगों में करमापा के अकांउटेंट शक्ति लामा, धर्मशाला के व्यवसायी के पी भारद्वाज और कारपोरेशन बैंक के प्रबंधक डी के धर भी शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि करमापा के अस्थायी घर से बरामद हुई विशाल धनराशि एक जमीन सौदे के लिये थी और भरद्वाज तथा धर इस समझौते में मदद कर रहे थे। कुछ रिपोटरे में कहा गया था कि खुफिया एजेंसियां को संदेह है कि करमापा एक चीनी एजेंट है क्योंकि उनके मठ से भारी मात्रा में चीनी मुद्रा यूआन बरामद हुई थी।