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This Article is From Nov 25, 2011

भारतीय न्यायपालिका से ले सबक चीन : चीनी प्रोफेसर

विधि प्रोफेसर ने बताया भारत में न्यायाधीश केवल अखबार की रिपोर्ट अथवा किसी याचिका पर मुकदमा शुरू कर सकते हैं चाहे याचिकाकर्ता वकील हो अथवा नहीं।
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बीजिंग: चीन के एक विधि प्रोफेसर का कहना है कि उनके देश को भारतीय न्याय प्रणाली से सबक लेकर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) को प्रोत्साहित कर कमजोर न्यायप्रणाली को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। चीन की कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी के विधि प्रोफेसर ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया भारत में न्यायाधीश केवल अखबार की रिपोर्ट अथवा किसी याचिका पर मुकदमा शुरू कर सकते हैं चाहे याचिकाकर्ता वकील हो अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि भारत में अदालतें कानून व्यवस्था लागू करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं वहीं चीन के न्यायालय अपेक्षाकृत 'कमजोर' हैं क्योंकि पीआईएल पर काम शुरू करना राजनीतिक जोखिम है। उन्होंने लिखा (भारत में) कोई भी बहुत कम लागत पर पीआईएल दाखिल कर सकता है जबकि चीन में किसी व्यक्ति को तब तक यह अधिकार नहीं है जब तक उसके अधिकारों पर प्रत्यक्ष चोट नहीं होती हो। वांग भारत की यात्रा पर हाल में आये चीनी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जिसने न्यायाधीशों वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। प्रोफेसर ने दावा किया कि चीन में पीआईएल आमतौर पर कम्पनियों को लक्ष्य में रखकर दायर की जाती हैं जबकि सरकारी एजेंसियां बामुश्किल इसके निशाने पर होती हैं। दूसरी ओर भारत में अक्सर सरकार इनके निशाने पर होती हैं। चीनी सरकार इस समय पर्यावरण एवं खाद्य सुरक्षा घोटालों से निपटने के मकसद से न्यायिक प्रणाली को अधिक सक्रिय बनाने के वास्ते एक नयी पीआईएल प्रणाली पर विचार कर रही है। पीआईएल पर एक नये प्रस्तावित विधेयक को औपचारिक तौर पर चीन की शीर्ष विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के समक्ष इस साल पेश किया गया।

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