चीन के साथ 25 सालों के रणनीतिक समझौते पर ईरान की कोशिशों को लेकर वहां विवाद हो रहा है. ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ ने रविवार को संसद में एक हो-हल्ले के बीच कहा कि ईरान अपने नंबर वन ट्रेडिंग पार्टनर चीन के साथ 25 सालों के रणनीतिक समझौते पर काम कर रहा है और डील पूरी हो जाने पर इसके नियम-शर्तों की घोषणा की जाएगी. इस समझौते पर सांसदों की ओर से सवाल उठाए जाने के बीच जवाद ज़रीफ ने कहा 'हम पूरे विश्वास और दृढ़ निश्चय के साथ चीन के साथ इस 25 सालों के समझौते पर काम कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि 'इस संभावित डील के बारे में कुछ भी छिपा नहीं है.'
मई में हुए चुनावों के बाद यह विदेश मंत्री का संसद में पहला संबोधन था. संसद में सांसदों ने उनपर 2015 में दुनिया के बड़े देशों के साथ न्यूक्लियर डील में उनकी भूमिका पर सवाल उठाए. इस डील से 2018 में अमेरिका बाहर हो गया था, जिसके बाद उसने ईरान पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे.
उन्होंने चीन के साथ समझौते को लेकर कहा कि इस डील को लेकर कुछ भी छिपाया नहीं गया है. उनका तर्क था कि 'इस डील को लेकर इरादे सार्वजनिक रूप से तभी जाहिर कर दिए गए थे, जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2016 की जनवरी में तेहरान की यात्रा पर आए थे.'
बता दें कि चीन ईरान से कच्चे तेल के निर्यात का बड़ा बाजार है, लेकिन अमेरिकी प्रतिंबध का असर इसपर भी पड़ा है.
बता दें कि 2015 के उस न्यूक्लियर डील के चलते अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम में कुछ कटौती करते हुए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से राहत मिली थी लेकिन ईरान के रूढ़िवादी नेताओं ने यह कहकर इस समझौते का विरोध किया कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता. लेकिन चीन के साथ द्विपक्षीय समझौते पर ईरान के सुप्रीम लीडर अयतोल्लाह-अल-खमैनी ने सार्वजनिक रूप से अपनी सहमति दिखाई है.
बता दें कि पिछले महीने पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने एक बाहरी देश के साथ हो रहे इस समझौते की आलोचना की थी, जिसके बाद से वहां ईरानी सोशल मीडिया पर इसपर लगातार बहस जारी है.
Video:मुकाबला : क्या चीन से निपटने की रणनीति है सही ?
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