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This Article is From Oct 03, 2022

चीन से फैक्ट्रियां छीन लेगी भारत की यह 100 खरब रुपए की योजना

India China Manufacturing Race : प्रधानमंत्री गति शक्ति (PM Gati Shakti) मिशन के अंतर्गत प्रधानमंत्री मोदी का प्रशासन एक ऐसा डिजिटल मंच (Digital Platform) बना रहा है जो 16 मंत्रालयों को एक साथ जोड़ देगा.

चीन से फैक्ट्रियां छीन लेगी भारत की यह 100 खरब रुपए की योजना
योजनाओं को तेजी से पूरा करने का भारत को मिलेगा फायदा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत (India) की कुल आधारभूत संरचना योजनाओं (Infrastructure Projects) में से आधी लटकी हुई हैं और 4 में से एक का खर्चा पूर्वानुमानिक बजट से  पार चला गया है. प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) का मानना है कि तकनीक इन अड़चनों का उपाय हो सकती है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार,  भारत की 100 खरब रूपए या कहें कि 1.2 ट्रिलयन डॉलर की बड़ी योजना गति शक्ति के अंतर्गत प्रधानमंत्री मोदी का प्रशासन 16 मंत्रालयों के लिए एक डिजिटल प्लैटफॉर्म (Digital Platform) बना रहा है. यह पोर्टल निवेशकों और कंपनियों को उनके प्रोजक्ट्स के लिए एक ही जगह पर सारे समाधान, मंजूरियां और लागत का आसान अनुमान देगा.  कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय के स्पेशन सेक्रेट्री अमृत लाल मीणा कहते हैं, "यह मिशन योजनाओं को समय और बजट बढ़ाए बिना लागू करने के लिए है. वैश्विक कंपनियां भारत को अपना मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र चुने यही हमारा उद्देश्य है. " 

प्रोजक्ट्स के जल्दी पूरा होने से भारत को फायदा मिलेगा. खास कर चीन अभी भी बाहरी दुनिया के लिए लगभग बंद है और कंपनियां लगातार चीन के साथ एक और देश की नीति अपना रही है. इस दौरान वो एक और देश में अपना विस्तार करना चाहती हैं या उस जगह को अपना स्त्रोत बनाना चाहती हैं ताकि सप्लाई चेन और व्यापार का विस्तार किया जा सके.  एशिया की तीसरी सबसे बड़े अर्थव्यवस्था भारत में ना केवल सस्ते मजदूर हैं बल्कि अंग्रेजी बोलने वाले प्रतिभाशाली कर्मचारी भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, हालांकि आधारभूत संरचना अधिक मजबूत ना होने के कारण कई निवेशक दूरी बनाते हैं.

कियर्नी इंडिया में पार्टनर, अंशुमन सिन्हा ट्रांसपोर्ट और इंफ्रा प्रैक्टिस लीड करते हैं. वह कहते हैं, "चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने का एक ही तरीका है कि मूल्य में प्रतिस्पर्धा हो, गतिशक्ति वस्तुओं और उत्पादित सामानों को देश के एक कोने से दूसरे कोने में आसानी से लाने-ले जाने के बारे में है.  

यह प्रोजेक्ट नए प्रोडक्शन क्लस्टरों की पहचान पर टिका है जो आज उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उन्हें देश के रेलवे नेटवर्क, बंदरगाहों और एयरपोर्ट्स से बिना किसी बाधा जोड़ना होगा. अंशुमन सिन्हा कहते हैं, " गति शक्ति लॉजिस्ट नेटवर्क में कमियों को पहचान कर उसे मजबूत करने के बारे में है." 

तकनीक के माध्यम से लाल फीताशाही को कम करना भारत के लिए ज़रूरी है. गतिशक्ति पोर्टल पर फिलहाल मौजूद 1,300 प्रोजक्ट में से करीब 40 प्रतिशत ज़मीन लिए जाने, जंगलात या पर्यावरण की मंजूरियों के कारण लटके पड़े हैं. इसके कारण लागत बढ़ती है. कम से कम 422 प्रोजक्ट्स में कुछ ना कुछ दिक्कत थी और पोर्टल ने अब तक 200 प्रोजेक्ट्स की दिक्कत दूर की है.  

सरकारी एजेंसी इंवेस्ट इंडिया कहती है, "गति शक्ति के अंतर्गात सरकार उदाहरण के तौर पर यह सुनिश्चित करेगी कि तकनीक के माध्यम से यह देखा जाए कि नई बनी सड़कें फोन केबल या गैस पाइप लाइन के लिए दोबारा ना खोदी जाएंगे. योजना द्वितीय विश्व युद्ध के बार यूरोप की तर्ज पर काम करने की है या फिर कुछ ऐसा करने की जो 1980 से 2010 के बीच चीन ने किया जिससे प्रतिस्पर्धा इंडेक्ट में उपर उठा." 
 

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