लंदन:
ब्रिटेन के नए आव्रजन नियमों के तहत सरकार वित्त पोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में रोगजार प्राप्त 30,000 से अधिक भारतीय व अन्य गैर-यूरोपीय देशों की नर्सों को मजबूरन देश छोड़ना पड़ सकता है।
ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज आफ नर्सिंग (आरसीएन) ने आगाह किया है कि सालाना 35,000 पौंड वेतन की नई सीमा से गैर-यूरोपीय देशों के 30,000 से अधिक नर्सिंग स्टाफ प्रभावित हो सकते हैं।
फिलीपीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जहां से काफी संख्या में नर्सें ब्रिटेन में आती हैं। एनएचएस में 15,000 से अधिक नर्सों की कमी है।
आरसीएन के महासचिव पीटर कार्टर ने कहा, 'आव्रजन नियमों से एनएचएस तथा अन्य सेवाओं के लिए अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है। एक तरफ जहां मांग बढ़ रही है, ब्रिटेन विदेशों से लोगों को नौकरी देने को कठिन बना रहा है।'
कंजर्वेटिव पार्टी की अगुवाई वाली सरकार गैर-यूरोपीय आव्रजकों के लिए नए कड़े नियम पेश करने पर विचार कर रही है। इसमें कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन सीमा शामिल है।
नए नियमों के लिए अंतिम तिथि 2011 तय की गई है, जिसका अर्थ है कि न्यूनतम सीमा से कम आय अर्जित कर रही नर्सों को 2017 में स्वेदश लौटना होगा।
ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज आफ नर्सिंग (आरसीएन) ने आगाह किया है कि सालाना 35,000 पौंड वेतन की नई सीमा से गैर-यूरोपीय देशों के 30,000 से अधिक नर्सिंग स्टाफ प्रभावित हो सकते हैं।
फिलीपीन के बाद भारत दूसरा ऐसा देश है जहां से काफी संख्या में नर्सें ब्रिटेन में आती हैं। एनएचएस में 15,000 से अधिक नर्सों की कमी है।
आरसीएन के महासचिव पीटर कार्टर ने कहा, 'आव्रजन नियमों से एनएचएस तथा अन्य सेवाओं के लिए अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है। एक तरफ जहां मांग बढ़ रही है, ब्रिटेन विदेशों से लोगों को नौकरी देने को कठिन बना रहा है।'
कंजर्वेटिव पार्टी की अगुवाई वाली सरकार गैर-यूरोपीय आव्रजकों के लिए नए कड़े नियम पेश करने पर विचार कर रही है। इसमें कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन सीमा शामिल है।
नए नियमों के लिए अंतिम तिथि 2011 तय की गई है, जिसका अर्थ है कि न्यूनतम सीमा से कम आय अर्जित कर रही नर्सों को 2017 में स्वेदश लौटना होगा।
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