चक्रवात ‘दित्वा' के बाद राहत, पुनर्निर्माण और दीर्घकालिक पुनर्वास प्रयासों में भारत श्रीलंका के साथ खड़ा रहेगा. भारतीय राजदूत ने श्रीलंका के मध्य प्रांत के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक के दौरे के दौरान यह बात कही. नवंबर के मध्य से ही श्रीलंका में भीषण बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे को हुए गंभीर नुकसान के कारण कई जिले अलग-थलग पड़ गए और देश की आपदा प्रबंधन क्षमता पर भारी दबाव पड़ा है.
भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने शुक्रवार को कैंडी जिले के नेलुम्माला गांव का दौरा किया, जहां भूस्खलन में 13 घर नष्ट हो गए, 13 लोगों की मौत हो गई और आठ लोग लापता बताये जा रहे हैं. झा ने इस आपदा पर शोक व्यक्त किया और प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति व एकजुटता व्यक्त की. उन्होंने मुश्किल समय में श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को याद करते हुए दोहराया कि नई दिल्ली चक्रवात के मद्देनजर त्वरित और बहुआयामी सहायता प्रदान कर रही है.
भारत ‘ऑपरेशन सागर बंधु' के तहत श्रीलंका की सहायता के लिए की गई अंतरराष्ट्रीय अपील पर प्रतिक्रिया देने वाला पहला देश था. आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार, कैंडी जिले में सबसे अधिक 234 लोगों की मौत हुई जबकि 82 लोग लापता हैं. शनिवार शाम साढ़े चार बजे तक राष्ट्रीय स्तर पर कुल 640 लोगों की मौत और लापता लोगों की संख्या 194 बतायी गयी है.
शीर्ष वित्त अधिकारी हर्षना सुरियाप्पेरुमा ने वित्तीय संकट से उबरने की प्रगति के बारे में पत्रकारों को बताया कि राहत कार्यों के लिए 13 अरब श्रीलंका रुपये से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं