
- अमेरिकी व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि भारत व्यापार वार्ता की मेज पर आ रहा है, बातचीत शुरू होने वाली है,
- PM मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार समझौते को लेकर सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक संवाद स्थापित किया है.
- नवारो ने भारत पर सबसे अधिक टैरिफ लगाने और ऊंची गैर-टैरिफ बाधाएं रखने का आरोप लगाया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार, 15 सितंबर को कहा कि भारत "बातचीत की मेज पर आ रहा है". नवारो की यह टिप्पणी उस समय आई है जब द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भारतीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बातचीत करने के लिए अमेरिकी टीम भारत पहुंची है. मंगलवार को यह बातचीत होगी. पीटर नवारो सीएनबीसी से बात करते हुए कहा, "भारत वार्ता की मेज पर आ रहा है. प्रधान मंत्री (नरेंद्र) मोदी ने एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण, अच्छा, रचनात्मक ट्वीट भेजा और राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रम्प ने इसका जवाब दिया. हम देखेंगे कि यह कैसे काम करता है."
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि भारत और अमेरिका "व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रख रहे हैं". उन्होंने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया, "मैं आने वाले हफ्तों में अपने बहुत अच्छे दोस्त, प्रधान मंत्री मोदी के साथ बात करने के लिए उत्सुक हूं. मुझे यकीन है कि हमारे दोनों देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष (व्यापार समझौते) पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी."
नवारो ने रूस तेल व्यापार पर फिर खोली जुबान
नवारो भारत को "टैरिफ का महाराजा" कह चुके हैं. उन्होंने फिर दोहराया कि भारत में किसी भी प्रमुख देश की तुलना में "सबसे अधिक टैरिफ" है. उन्होंने कहा, "उनके पास बहुत ऊंची गैर-टैरिफ बाधाएं हैं. हमें उससे निपटना था, जैसे हम ऐसा करने वाले हर दूसरे देश से निपट रहे हैं." उन्होंने रूसी तेल खरीदने के लिए भी भारत की फिर आलोचना की और कहा कि 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले उसने ऐसा कभी नहीं किया.
"भारतीय रिफाइनर आक्रमण के तुरंत बाद रूसी रिफाइनर के साथ आ गए, और वे डाकुओं की तरह मिलकर काम कर रहे हैं. यह पागलपन की बात है क्योंकि वे अनुचित व्यापार में हमसे पैसा कमाते हैं. इसे अमेरिकी वर्कर्स को झेलना पड़ता है. फिर वे उस पैसे का उपयोग रूसी तेल खरीदने के लिए करते हैं, और फिर रूस उस पैसा का इस्तेमाल हथियार खरीदने के लिए करता हैं. और फिर, टैक्सपेयर्स के रूप में, हमें यूक्रेन की रक्षा के लिए अधिक भुगतान करना पड़ता है." नवारो ने कहा.
उन्होंने 1 सितंबर को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में तीन नेताओं की बैठक का जिक्र करते हुए कहा, "और मोदी को चीन के साथ एक मंच पर देखना, जो उसके अस्तित्व के लिए दीर्घकालिक खतरा रहा है, और पुतिन, यह एक दिलचस्प बात थी. मुझे नहीं लगता कि वह ऐसा करने में सहज महसूस करते थे."
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