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This Article is From May 18, 2013

चीन के प्रधानमंत्री के समक्ष भारत रखेगा घुसपैठ से जुड़ी चिंताएं

नई दिल्ली: भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आ रहे चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ रविवार को होने वाली बैठक में भारत लद्दाख क्षेत्र में हुए हालिया चीनी घुसपैठ से जुड़ी अपनी चिंताओं को शीर्ष स्तर पर उठाएगा।

अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आ रहे ली यहां पहुंचने के तुंरत बाद प्रधानमंत्री सिंह के साथ एक सीमित वार्ता करेंगे।

प्रधानमंत्री अपने आधिकारिक निवास पर ली को रात्रिभोज भी दे रहे हैं, जिसमें भाजपा और सपा सहित विभिन्न महत्वपूर्ण दलों के नेता भी शामिल होंगे।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि ली द्वारा पद्भार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए इस देश को चुनने को भारत ‘बेहद गंभीरता’ से लेता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की उच्च स्तरीय वार्ता से आपसी भरोसे और समझ में वृद्धि के साथ-साथ एक दूसरे की चिंताओं के प्रति ‘संवेदनशीलता’ भी बढ़ती है।

ली की यात्रा का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि कल अपराह्न यहां पहुंच रहे चीनी प्रधानमंत्री के साथ प्रधानमंत्री सिंह की एक सीमित वार्ता होगी, जिसके बाद रात्रिभोज का आयोजन किया गया है।

इसके बाद सोमवार को दोनों नेताओं और उनके साथ आए उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के बीच प्रमुख अंतरराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर विस्तृत वार्ता होगी।

इस उच्चस्तरीय बैठक में सीमा, जल और आर्थिक साझेदारी के तहत बाजार तक पहुंच जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनको लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद रहा है।

संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौतम बंबावले ने कहा, ‘‘दोनों प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे। चूंकि यह (घुसपैठ) हाल में ही घटित हुई है (इस पर भी चर्चा होगी)।’’

हालांकि बाद में सूत्रों ने बताया कि लद्दाख क्षेत्र में यथास्थिति के उल्लंघन के मुद्दे पर इस बैठक के दौरान चर्चा होगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के मुद्दे को विस्तार से उठाने के लिए भारत अपने और चीन इस बात पर जोर देंगे कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने वाले कदमों पर विस्तार में बातचीत करें। आने वाले कुछ महीनों के दौरान इन प्रतिनिधियों की भी मुलाकात होनी है।

गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्र के वास्तविक नियंत्रण रेखा के स्पष्टीकरण और पुष्टि के लिए भारत हमेशा से दबाव डालता रहा है।

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