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This Article is From Feb 04, 2022

Afghanistan के 80 कैडेटों को India देगा एक साल का 'English का प्रशिक्षण'

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद 3 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं. भुखमरी और रोजगार के संकट को देखते हुए अफगान नागरिकों की तरफ से  भारत (India) सरकार के इस कदम की सराहना जा रही है. 

Afghanistan के 80 कैडेटों को  India देगा एक साल का 'English का प्रशिक्षण'
India देगा Afghan कैडेटों को व्यवसायिक अंग्रेजी की ट्रेनिंग
नई दिल्ली:

भारत(India) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के लंबे सांस्कृतिक और राजनैतिक संबंध रहे हैं. तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में सैन्य कैडेटों (Cadets) का भविष्य मुश्किल में पड़ गया है. अफगानिस्तान के साथ अपने निकट संबंधों को देखते हुए  भारत ने पिछले कुछ सालों से युवा अफगान कैडेटों को नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया है और अब भारत ने विभिन्न सैन्य अकादमियों में करीब 80 अफगान कैडेट के अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लेने के बाद उन्हें एक साल के प्रशिक्षण कार्यक्रम की पेशकश की है. भारत में अफगान दूतावास ने अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति के मद्देनजर इन युवा कैडेटों के सामने मंडरा रहे अनिश्चित भविष्य को ध्यान में रखकर इस पेशकश का स्वागत किया.

अफगान दूतावास ने एक बयान कहा, ‘‘ भारत में विभिन्न सैन्य अकादमियों से हाल में स्नातक कर चुके 80 अफगान युवा कैडेटों को व्यवसाय एवं कार्यालय में प्रभावी अंग्रेजी संवाद में 12 महीने के प्रशिक्षण कार्यकम की पेशकश की गयी है. ''

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद 3 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं. हजारों लोगों को अमानवीय स्तिथी में देश छोड़कर भागना पड़ा. अफगानिस्तान में भुखमरी और रोजगार के संकट को देखते हुए  अफगान नागरिकों की तरफ से  भारत सरकार के इस कदम की सराहना जा रही है. 

अफगान दूतावास ने कहा कि यह कार्यक्रम सात फरवरी को शुरू होगा तथा कैडेटों को भारत के तीन भिन्न संस्थानों में रखा जाएगा एवं उन्हें आवास एवं मासिक भत्ता दिया जाएगा.

दूतावास ने कहा, ‘‘ स्वदेश में वर्तमान स्थिति के कारण इन नये स्नातक कैडेटों के सामने चुनौतियों एवं अनिश्चितता को देखते हुए भारत में अफगानिस्तान इस्लामी गणतंत्र दूतावास भारत सरकार के इस उदार कदम का स्वागत एवं भूरि-भूरि प्रशंसा करता है.''

भारत ने अफगानिस्तान के नये शासन को स्वीकृति नहीं प्रदान की है और वह काबुल में सच्ची समावेशी सरकार के गठन पर जोर दे रहा है.  उसका इस बात भी जोर है कि अफगान सरजमीं का उपयोग किसी देश के विरूद्ध किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं करने दिया जाना चाहिए. 

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