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चीन ने कहा कि उसे इस तरह के आदान-प्रदान से विरोध नहीं है.
चीन दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है.
भारत और सिंगापुर हालांकि इस विवाद का हिस्सा नहीं है.
चीन ने कहा कि उसे इस तरह के आदान-प्रदान से विरोध नहीं है, बशर्ते यह क्षेत्रीय शांति में खलल न डाले.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "अगर इस तरह का अभ्यास और सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए लाभकारी है तो हमें इससे कोई ऐतराज नहीं है".
भारत, सिंगापुर ने गुरुवार को विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में नौसेना अभ्यास शुरू किया, जिस पर चीन और आसपास के अन्य देश अपना दावा करते हैं. उन्होंने कहा, "हम देशों के बीच सामान्य आदान-प्रदान के लिए एक बहुत ही खुला दृष्टिकोण रखते हैं".
हुआ ने कहा, "हम सिर्फ यह उम्मीद करते हैं कि जब प्रासंगिक देश ऐसा आदान-प्रदान और सहयोग करें, तो इस बात को दिमाग में रखें कि इस तरह की गतिविधियां अन्य देशों के हितों को प्रभावित न करें या उनका क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर कोई नकारात्मक असर न हो".
यह सप्ताह भर लंबा सैन्याभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब इसके पहले चीन ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) और सिंगापुर के साथ दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर बातचीत की है.
भारत और सिंगापुर हालांकि इस विवाद का हिस्सा नहीं है, लेकिन दोनों देशों ने दक्षिण चीन सागर में तनाव को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिसके माध्यम से प्रति वर्ष पांच हजार करोड़ डॉलर का व्यापार होता है.
(इनपुट आईएएनएस से)
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