पेरिस:
जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, अगले कुछ दिनों हम सब धरती का भविष्य तय करेंगे। उन्होंने कहा, हमें सही मायनों में एक वैश्विक सहयोग की जरूरत है। लोकतांत्रिक भारत को सभी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा, हम साल 2020 तक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन के लिए वार्षिक रूप से 100 अरब डॉलर सालाना की राशि जुटाने के लिए विकसित देशों से उम्मीद करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, विकसित देशों को महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए, क्योंकि प्रभावों का सामना करने के लिए उनके पास अधिक गुंजाइश है। उन्होंने कहा, विकसित देशों को चाहिए कि वे विश्व में सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें। उन्हें यह विश्वसनीय और पारदर्शी तरीके से करना होगा।
इससे पहले सोलर एनर्जी इनिशेटिव पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के नेताओं को पर्यावरण के मुद्दे पर न्याय की जरूरत है, ताकि ऐसा न हो कि कुछ लोगों के फायदे के लिए तमाम लोगों को नुकसान न हो। विकास के लिए स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग होना चाहिए, जो तकनीकी दृष्टी से सस्ती भी हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के दौरान कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करेगा। उन्होंने द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के उपायों के साथ यहां जलवायु एजेंडे पर विचार विमर्श किया।
जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से अलग पीएम मोदी ने ओबामा के साथ हुई अपनी मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति के उस खुलेपन की भी सराहना की, जिसके तहत उन्होंने बड़ी बेबाकी के साथ मुद्दों को साझा किया। मोदी ने कहा कि इससे बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
मोदी ने ओबामा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'भारत से जो उम्मीदें की जाती हैं और उस पर जो जिम्मेदारियां हैं, वह उन्हें पूरा करेगा... देश विकास और पर्यावरण (सुरक्षा) दोनों को साथ लेकर चलने पर काम कर रहा है।' प्रधानमंत्री ने 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का भी जिक्र किया।
दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता की ये तस्वीर भी पीएमओ ने ट्वीट की।
प्रधानमंत्री मोदी की ये टिप्पणियां इस पृष्ठभूमि में आई हैं, जिसमें भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत एक 'चुनौती' होगा। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन टिप्पणियों को 'अवांछित' बताया था।
सोमवार की मुलाकात में जावड़ेकर और कैरी भी अन्य वरिष्ठ मंत्रियों तथा अधिकारियों के साथ मोदी और ओबामा की मुलाकात में मौजूद थे। मोदी ने सौर गठबंधन पहल का भी जिक्र किया और कहा कि यह उन सपनों को पूरा करने में मदद करेगा, जिनके लिए देश यहां इकट्ठा हुए हैं।
ओबामा के साथ मुलाकात से पहले मोदी ने कहा था कि धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए एक समग्र, समान और ठोस समझौता तैयार करने की तत्काल जरूरत है।
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मीटिंग की तस्वीर पीएमओ ने ट्वीट की।
दोस्त और साझीदार' से मुलाकात होना खुशी
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि भारत को गरीबी उन्मूलन, विकास की प्राथमिकता तय करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही अपने कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण पर भी अवश्य नियंत्रण पाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत के बीच गहरे सहयोग के लिए जलवायु परिवर्तन भी प्रमुख क्षेत्रों में शामिल है।
राष्ट्रपति ओबामा ने इस बात को भी रेखांकित किया कि अपने 'दोस्त और साझीदार' से मुलाकात होना खुशी की बात है।
ओबामा ने कहा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन एक आसन्न खतरा है। हम इस मुद्दे पर भारत के नेतृत्व का स्वागत करते हैं।' उन्होंने कहा कि पेरिस बैठक में इस संभावना को संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए कि भारत जैसे देश गरीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रख सकें। उन्होंने साफ शब्दों में यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर सभी पक्षों की ओर से गंभीर प्रतिबद्धता बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि समझौते में 'सभी देशों की गंभीर और महत्वाकांक्षी कार्रवाई झलकनी चाहिए।' द्विपक्षीय मुलाकात के बारे में व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'जलवायु एजेंडे के अलावा, दोनों नेताओं (मोदी और ओबामा) ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने अपने देशों की रणनीतिक भागीदारी को गहरा करने के अतिरिक्त उपायों पर भी विचार विमर्श किया।'
इससे पहले पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और जपान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ द्विपक्षीय बैठक की और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ संक्षिप्त मुलाकात की। सम्मेलन में भारतीय पवेलियन का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने विश्व के नेताओं के लिए ओलांद द्वारा आयोजित दोपहर भोज में भी हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी से भी मुलाकात की।
इससे पहले पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित समिट को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया और कहा कि मानवता और पर्यावरण में खोए संतुलन को वापस बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया को इस मामले को तुरंत गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपने ग्लेशियरों की चिंता करनी चाहिए। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि पेरिस समिट से इस समस्या का कुछ हल निकलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां जो भी फैसला होगा वह हमारे विकास पर असर डालेगा। हमें एक बराबरी का और स्थाई समझौते की उम्मीद है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि दुनिया में सबकी जरूरतें पूरी हो सकती हैं लेकिन लालच नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2030 तक हमारी ऊर्जा जरूरतों का 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरी होगा।
पीएम मोदी ने कहा, हम साल 2020 तक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूलन के लिए वार्षिक रूप से 100 अरब डॉलर सालाना की राशि जुटाने के लिए विकसित देशों से उम्मीद करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, विकसित देशों को महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर बढ़ना चाहिए, क्योंकि प्रभावों का सामना करने के लिए उनके पास अधिक गुंजाइश है। उन्होंने कहा, विकसित देशों को चाहिए कि वे विश्व में सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें। उन्हें यह विश्वसनीय और पारदर्शी तरीके से करना होगा।
इससे पहले सोलर एनर्जी इनिशेटिव पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के नेताओं को पर्यावरण के मुद्दे पर न्याय की जरूरत है, ताकि ऐसा न हो कि कुछ लोगों के फायदे के लिए तमाम लोगों को नुकसान न हो। विकास के लिए स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग होना चाहिए, जो तकनीकी दृष्टी से सस्ती भी हो।
PM @narendramodi highlights the unique convergence between ecology, economy, and energy that can shape our future pic.twitter.com/zcSH5psYfi
— Vikas Swarup (@MEAIndia) November 30, 2015
जलवायु परिवर्तन पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करेगा भारतप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात के दौरान कहा कि जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करेगा। उन्होंने द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के उपायों के साथ यहां जलवायु एजेंडे पर विचार विमर्श किया।
जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से अलग पीएम मोदी ने ओबामा के साथ हुई अपनी मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति के उस खुलेपन की भी सराहना की, जिसके तहत उन्होंने बड़ी बेबाकी के साथ मुद्दों को साझा किया। मोदी ने कहा कि इससे बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
मोदी ने ओबामा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'भारत से जो उम्मीदें की जाती हैं और उस पर जो जिम्मेदारियां हैं, वह उन्हें पूरा करेगा... देश विकास और पर्यावरण (सुरक्षा) दोनों को साथ लेकर चलने पर काम कर रहा है।' प्रधानमंत्री ने 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का भी जिक्र किया।
दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता की ये तस्वीर भी पीएमओ ने ट्वीट की।
Another picture from the meeting between @POTUS and PM @narendramodi. pic.twitter.com/uewLKvBPJe
— PMO India (@PMOIndia) November 30, 2015
प्रधानमंत्री मोदी की ये टिप्पणियां इस पृष्ठभूमि में आई हैं, जिसमें भारत ने अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी के इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि जलवायु शिखर सम्मेलन में भारत एक 'चुनौती' होगा। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन टिप्पणियों को 'अवांछित' बताया था।
सोमवार की मुलाकात में जावड़ेकर और कैरी भी अन्य वरिष्ठ मंत्रियों तथा अधिकारियों के साथ मोदी और ओबामा की मुलाकात में मौजूद थे। मोदी ने सौर गठबंधन पहल का भी जिक्र किया और कहा कि यह उन सपनों को पूरा करने में मदद करेगा, जिनके लिए देश यहां इकट्ठा हुए हैं।
ओबामा के साथ मुलाकात से पहले मोदी ने कहा था कि धरती के बढ़ते तापमान को रोकने के लिए एक समग्र, समान और ठोस समझौता तैयार करने की तत्काल जरूरत है।
पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मीटिंग की तस्वीर पीएमओ ने ट्वीट की।
A meeting between @POTUS and PM @narendramodi in Paris on the sidelines of @COP21. pic.twitter.com/TjtNgIBY7C
— PMO India (@PMOIndia) November 30, 2015
दोस्त और साझीदार' से मुलाकात होना खुशी
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि भारत को गरीबी उन्मूलन, विकास की प्राथमिकता तय करने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही अपने कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण पर भी अवश्य नियंत्रण पाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और भारत के बीच गहरे सहयोग के लिए जलवायु परिवर्तन भी प्रमुख क्षेत्रों में शामिल है।
राष्ट्रपति ओबामा ने इस बात को भी रेखांकित किया कि अपने 'दोस्त और साझीदार' से मुलाकात होना खुशी की बात है।
ओबामा ने कहा, 'हम इस बात से सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन एक आसन्न खतरा है। हम इस मुद्दे पर भारत के नेतृत्व का स्वागत करते हैं।' उन्होंने कहा कि पेरिस बैठक में इस संभावना को संरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए कि भारत जैसे देश गरीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई को जारी रख सकें। उन्होंने साफ शब्दों में यह भी कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर सभी पक्षों की ओर से गंभीर प्रतिबद्धता बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि समझौते में 'सभी देशों की गंभीर और महत्वाकांक्षी कार्रवाई झलकनी चाहिए।' द्विपक्षीय मुलाकात के बारे में व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, 'जलवायु एजेंडे के अलावा, दोनों नेताओं (मोदी और ओबामा) ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने अपने देशों की रणनीतिक भागीदारी को गहरा करने के अतिरिक्त उपायों पर भी विचार विमर्श किया।'
इससे पहले पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और जपान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ द्विपक्षीय बैठक की और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ संक्षिप्त मुलाकात की। सम्मेलन में भारतीय पवेलियन का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने विश्व के नेताओं के लिए ओलांद द्वारा आयोजित दोपहर भोज में भी हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ ग़नी से भी मुलाकात की।
इससे पहले पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित समिट को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया और कहा कि मानवता और पर्यावरण में खोए संतुलन को वापस बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुनिया को इस मामले को तुरंत गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपने ग्लेशियरों की चिंता करनी चाहिए। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि पेरिस समिट से इस समस्या का कुछ हल निकलना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां जो भी फैसला होगा वह हमारे विकास पर असर डालेगा। हमें एक बराबरी का और स्थाई समझौते की उम्मीद है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि दुनिया में सबकी जरूरतें पूरी हो सकती हैं लेकिन लालच नहीं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2030 तक हमारी ऊर्जा जरूरतों का 40 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरी होगा।
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