वाशिंगटन:
हथियारबंद और निगरानी करने वाले, दोनों तरह के करीब 100 प्रीडेटर निगरानी ड्रोन की संभावित खरीद के लिए अमेरिका के साथ भारत बात कर रहा है। यह सौदा दो अरब डॉलर का होगा। चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए इससे भारत के हथियारों का भंडार बढ़ेगा।
अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्टन कार्टर के अगले हफ्ते भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच वार्ता में इस मुद्दे का जिक्र होने की संभावना है। औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक भारत दो अरब डॉलर में करीब 100 ड्रोन की उम्मीद कर रहा है।
अमेरिकी सरकार ने पिछले साल भारत को प्रीडेटर एक्सपी बेचने के लिए जनरल ऐटॉमिक्स के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि ड्रोन की आपूर्ति कब की जाएगी। नौसेना इन्हें हिंद महासागर की निगरानी करने के लिए खरीदना चाहती है।
गौरतलब है कि प्रीडेटर ड्रोन लगातार 35 घंटे तक आकाश में चक्कर लगा सकते हैं। इन्हें इस लिहाज से भी जरूरी माना जा रहा है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार जहाजों और पनडुब्बियों की मौजूदगी बढ़ा रहा है। देश में चीनी सेना के बार-बार घुसपैठ के मद्देनजर भारत इन मानवरहित विमानों के जरिये अपने अस्त्र-शस्त्र के जखीरे को और मजबूत करना चाहता है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्टन कार्टर के अगले हफ्ते भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच वार्ता में इस मुद्दे का जिक्र होने की संभावना है। औद्योगिक सूत्रों के मुताबिक भारत दो अरब डॉलर में करीब 100 ड्रोन की उम्मीद कर रहा है।
अमेरिकी सरकार ने पिछले साल भारत को प्रीडेटर एक्सपी बेचने के लिए जनरल ऐटॉमिक्स के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि ड्रोन की आपूर्ति कब की जाएगी। नौसेना इन्हें हिंद महासागर की निगरानी करने के लिए खरीदना चाहती है।
गौरतलब है कि प्रीडेटर ड्रोन लगातार 35 घंटे तक आकाश में चक्कर लगा सकते हैं। इन्हें इस लिहाज से भी जरूरी माना जा रहा है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार जहाजों और पनडुब्बियों की मौजूदगी बढ़ा रहा है। देश में चीनी सेना के बार-बार घुसपैठ के मद्देनजर भारत इन मानवरहित विमानों के जरिये अपने अस्त्र-शस्त्र के जखीरे को और मजबूत करना चाहता है।
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