भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची से बातचीत के बाद सकारात्मक रिश्ते विकसित करने के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता जताई.
बीजिंग:
जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध की मांग पर भारत का साथ न देने वाले चीन से रिश्ते सुधरने की बात कही गई है. भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जिएची से बातचीत के बाद सकारात्मक रिश्ते विकसित करने के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता जताई. इस मुलाकात को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत की कोशिशों पर चीन लगातार अड़गा लगा रहा है.
श्रीलंका से बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने चीन के स्टेट काउंसिलर यांग से मुलाकात की. यांग भारत और चीन के बीच के सीमा विवाद निबटाने के तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं.
चीन सरकार में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के स्टेट काउंसिलर को देश के नेतृत्व के तहत सीधे काम करने वाले शीर्ष राजनयिक की हैसियत है.
देश की सत्ता एवं कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय झोंगनानहाइ में जयशंकर का स्वागत करते हुए यांग ने कहा कि मतभेदों के बावजूद दोनों पक्षों के बीच के रिश्तों में पिछले साल सकारात्मक विकास हुआ.
यांग ने चीन में भारत के राजदूत की हैसियत से जयशंकर के योगदान की सराहना की और कहा कि अनेक स्तरों पर दोनों देशों के बीच अच्छा संवाद एवं संचार है. अर्थव्यवस्था, कारोबार, संस्कृति एवं लोगों के आदान-प्रदान के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच अच्छा सहयोग जारी है.
उम्मीद की जा रही है कि जयशंकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. वह कल चीन के कार्यकारी विदेश उपमंत्री झांग येसुइ के साथ सामरिक संवाद में भी कल हिस्सा लेंगे.
सामरिक संवाद की अहमियत रेखांकित करते हुए चीन ने वार्ता के लिए झांग को इसमें रखा है जो चीनी विदेश मंत्रालय की प्रभावशाली सीपीसी समिति के मुखिया भी हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल वांग की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में सामरिक संवाद का स्तर उन्नत किया गया था.
लौटना बहुत अच्छा है. मैं पुरानी यादों के साथ आया हूं और बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. रिश्तों को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्धता की दृढ़ भावना है.' विदेश सचिव ने पहले सामरिक संवाद का जिक्र करते हुए कहा, 'यह मेरे और मेरे समकक्ष (झांग) के बीच महज एक बैठक नहीं है इसके बाद (ढेर सारे मुद्दों पर) विचार-विमर्श होगा.'
यांग के साथ जयशंकर की वार्ता और बाद में सामरिक संवाद में उम्मीद की जा रही है कि उनमें 48 सदस्यों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने की भारत की कोशिश में चीन की अड़चनबाजी, अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध और 46 अरब डालर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी जिनपर दोनों देशों को मतभेद हैं.
वार्ता से पहले विदेश सचिव ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में सीपीईसी और आतंकवाद निरोध पर भारत की चिंता जताई.
उन्होंने सीपीईसी के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने की परोक्ष चर्चा करते हुए कहा, 'हमारे लिए यह संप्रभुता के सवाल हैं जिनका पहले समाधान करने की जरूरत है.'
श्रीलंका से बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने चीन के स्टेट काउंसिलर यांग से मुलाकात की. यांग भारत और चीन के बीच के सीमा विवाद निबटाने के तंत्र के लिए चीन के विशेष प्रतिनिधि हैं.
चीन सरकार में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के स्टेट काउंसिलर को देश के नेतृत्व के तहत सीधे काम करने वाले शीर्ष राजनयिक की हैसियत है.
देश की सत्ता एवं कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय झोंगनानहाइ में जयशंकर का स्वागत करते हुए यांग ने कहा कि मतभेदों के बावजूद दोनों पक्षों के बीच के रिश्तों में पिछले साल सकारात्मक विकास हुआ.
यांग ने चीन में भारत के राजदूत की हैसियत से जयशंकर के योगदान की सराहना की और कहा कि अनेक स्तरों पर दोनों देशों के बीच अच्छा संवाद एवं संचार है. अर्थव्यवस्था, कारोबार, संस्कृति एवं लोगों के आदान-प्रदान के क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच अच्छा सहयोग जारी है.
उम्मीद की जा रही है कि जयशंकर चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. वह कल चीन के कार्यकारी विदेश उपमंत्री झांग येसुइ के साथ सामरिक संवाद में भी कल हिस्सा लेंगे.
सामरिक संवाद की अहमियत रेखांकित करते हुए चीन ने वार्ता के लिए झांग को इसमें रखा है जो चीनी विदेश मंत्रालय की प्रभावशाली सीपीसी समिति के मुखिया भी हैं.
उल्लेखनीय है कि पिछले साल वांग की भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में सामरिक संवाद का स्तर उन्नत किया गया था.
लौटना बहुत अच्छा है. मैं पुरानी यादों के साथ आया हूं और बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं. रिश्तों को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्धता की दृढ़ भावना है.' विदेश सचिव ने पहले सामरिक संवाद का जिक्र करते हुए कहा, 'यह मेरे और मेरे समकक्ष (झांग) के बीच महज एक बैठक नहीं है इसके बाद (ढेर सारे मुद्दों पर) विचार-विमर्श होगा.'
यांग के साथ जयशंकर की वार्ता और बाद में सामरिक संवाद में उम्मीद की जा रही है कि उनमें 48 सदस्यों वाले परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने की भारत की कोशिश में चीन की अड़चनबाजी, अजहर पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध और 46 अरब डालर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी जिनपर दोनों देशों को मतभेद हैं.
वार्ता से पहले विदेश सचिव ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में सीपीईसी और आतंकवाद निरोध पर भारत की चिंता जताई.
उन्होंने सीपीईसी के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने की परोक्ष चर्चा करते हुए कहा, 'हमारे लिए यह संप्रभुता के सवाल हैं जिनका पहले समाधान करने की जरूरत है.'
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