भारत ने यहां आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के नतीजों की तारीफ करते हुए कहा कि जिस समझौते पर सहमति बनी है, उसने विकासशील देशों की चिंताओं का समाधान किया है और उन्हें प्रगति करने तथा ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ठोस एवं उचित कदम उठाने के पर्याप्त अवसर दिए हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, 'हमें खुशी है कि लीमा में आयोजित 'कॉप-20' में जारी किया गया अंतिम बयान विकासशील देशों की चिंताओं का समाधान करता है और खासकर कुछ देशों द्वारा सम्मेलन को फिर से परिभाषित करने की कोशिशें सफल नहीं हुई।'
वार्ताकारों ने आज समझौते का एक मसौदा स्वीकार किया जिसमें वैश्विक कार्बन उत्सर्जन कटौती को लेकर राष्ट्रीय संकल्प किए गए। इस समझौते के मसौदे के जरिए भारत की सारी चिंताओं का समाधान किया गया और इससे अगले साल पेरिस में होने वाले सम्मेलन के दौरान एक नए महत्वाकांक्षी एवं बाध्यकारी करार को अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हुआ।
जावड़ेकर की अगुवाई वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने रात भर काम किया और विकसित तथा विकासशील देशों के प्रतिनिधियों से बात की ताकि एक ऐसे करार को अंतिम रूप दिया जाए जिससे भारत की चिंता का समाधान हो सके।
पिछले 14 दिनों में 194 देशों के अधिकारियों द्वारा कई दौर की बातचीत के बाद मंत्री ने कहा, 'हमने काफी सक्रिय भूमिका निभाई। हम पिछली दो रातों से जगे थे और हम विकसित तथा विकासशील देशों के प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे।'
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'यह समझौता विकासशील देशों को प्रगति करने का पर्याप्त अवसर देता है और इससे राष्ट्रीय स्तर पर ठोस एवं उचित कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।'
जावड़ेकर ने कहा कि इस सम्मेलन में जिस अंतिम मसौदे पर सहमति बनी वह अगले साल पेरिस समझौते को अंतिम रूप दिलाने में खासा मददगार होगा। पेरिस समझौते को समानता एवं अलग जिम्मेदारियों के सिद्धांत के आधार पर अंतिम रूप दिया जाएगा।
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