भारत ने रविवार को यहां संयुक्त राष्ट्र (यूएन) (United Nation) जलवायु शिखर सम्मेलन (Global Climate Summit) में कहा कि पिछले सात वर्ष में देश की सौर ऊर्जा क्षमता (Solar Power Capacity) 17 गुना बढ़कर 45 हजार मेगावॉट हो गई है.
भारत ने जोर देते हुआ कहा कि वैश्विक आबादी में उसका हिस्सा 17 प्रतिशत और इसके बावजूद उसका कुल उत्सर्जन में हिस्सा केवल चार प्रतिशत है.भारत ने यहां आयोजित सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में 11वें विचारों के साझाकरण (एफएसवी) के दौरान अपनी तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर) के प्रस्तुतीकरण के दौरान यह बात कही.
बीयूआर को फरवरी में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन संधि (यूएनएफसीसीसी) के समक्ष पेश किया गया था. भारत ने इस रिपोर्ट में मुख्य बिंदु के तौर पर कहा कि उसने 2005-14 की अवधि में अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता में 24 प्रतिशत की कमी हासिल की है. साथ ही अपने सौर कार्यक्रम में महत्वपूर्ण वृद्धि भी दर्ज की है.
भारत की ओर से पर्यावरण मंत्रालय में सलाहकार/वैज्ञानिक जे.आर भट्ट ने कहा कि भारत वैश्विक आबादी के 17 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है लेकिन हमारा कुल उत्सर्जन केवल चार प्रतिशत और वर्तमान वार्षिक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन केवल लगभग 5 प्रतिशत है.
भट्ट ने कहा, ‘‘यह दर्शाता है कि भारत जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। पिछले सात साल में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 17 गुना बढ़ गई है। यह अब 45 हजार मेगावॉट पर पहुंच गई है.''
सम्मेलन में सभी पक्षों ने बीयूआर और जलवायु को लेकर भारत के प्रयासों की सराहना की, जिसमें नए उपायों की हालिया घोषणाएं भी शामिल हैं.
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