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This Article is From Apr 20, 2017

पाक सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर लीक मामले में नवाज़ शरीफ के खिलाफ दोबारा जांच के आदेश दिए

पाक सुप्रीम कोर्ट ने पनामा पेपर लीक मामले में नवाज़ शरीफ के खिलाफ दोबारा जांच के आदेश दिए
यह मुकदमा 1990 के दशक में शरीफ द्वारा धन शोधन कर लंदन में संपत्ति खरीदने का है. (फाइल फोटो)
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कोर्ट के संभावित फैसले पर सत्‍तारूढ़ पीएमएल-एन के भीतर मंथन
यह फैसला नवाज शरीफ के सियासी भविष्‍य के लिहाज से खासा महत्‍व रखता है
यह उनके परिवार के सियासी भविष्‍य को बना या बिगाड़ सकता है
लाहौर: पनामा पेपर लीक मामले में नाम आने के बाद मुसीबतों से घिरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को फौरी राहत देते हुए पाक सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसले को रोककर रखते हुए उनकी कथित भूमिका की संयुक्त जांच कराए जाने के आदेश दिए. 67-वर्षीय नवाज़ शरीफ ने इस घोटाले में किसी भी भूमिका से इंकार किया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट उनके परिवार की विदेशों में स्थित उस संपत्ति की जांच करने पर सहमत हो गई है, जिसे लेकर प्रमुख विपक्षी नेता तथा पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने पिछले साल के अंत में सड़कों पर उतर आने की चेतावनी दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संयुक्त जांच दल से जांच कराने का आदेश दिया, जो 60 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. इस टीम में सैन्य खुफिया विभाग सहित विभिन्न एजेंसियों के अधिकारी शामिल रहेंगे.

गौरतलब है कि नवाज शरीफ के नेतृत्‍व वाली पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन सुप्रीम कोर्ट में पनामागेट को लेकर विपरीत फैसला आने की स्थिति में समयपूर्व चुनाव कराने के विकल्प पर भी विचार कर रही थी. पनामागेट का मामला सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनके बेटे-बेटी से जुड़ा हुआ है.

पीएमएल-एन के नेतृत्व ने बुधवार को बैठक की थी, जिसमें पनामागेट के फैसले के मद्देनजर रणनीति पर बातचीत हुई. पार्टी के एक नेता ने कहा, ''प्रधानमंत्री शरीफ को प्रभावित करने वाला फैसला आने की स्थिति में समयपूर्व चुनाव के विकल्प पर भी चर्चा की जा रही है.'' उन्होंने कहा कि विपरीत फैसला आने की स्थिति को लेकर पार्टी में दो विचार हैं. एक विचार यह है कि समयपूर्व चुनाव कराया जाए, ताकि पीएमएल-एन को उस वक्त के हालात का फायदा मिल सके. हालांकि पार्टी का दूसरा धड़ा मान रहा था कि पार्टी को कार्यकाल पूरा करने के बाद ही चुनाव कराना चाहिए.

इससे पहले बचाव पक्ष और अभियोजन पक्ष की दलीलें समाप्त होने के बाद पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने 23 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था. यह मुकदमा 1990 के दशक में शरीफ द्वारा धन शोधन कर लंदन में संपत्ति खरीदने का है. शरीफ उस दौरान दो बार प्रधानमंत्री रहे थे.

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